आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए दवा का करें छिड़काव
जौनपुर मौसम में हर दिन हो रहे बदलाव के कारण आलू की फसल में रोग लगने की संभावना बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम में हर दिन हो रहे बदलाव के कारण आलू की फसल में रोग लगने की संभावना बढ़ गई है। समय रहते दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया तो उत्पादन प्रभावित हो जाएगा। इस बीमारी में पत्तियां किनारे व सिरे से झुलसना प्रारंभ होती हैं, जिसके कारण पूरा पौधा झुलस जाता है। पौधों के ऊपर काले काले चकत्ते दिखाई पड़ते हैं जो बाद में कंद को भी प्रभावित करते हैं। ठंड का पारा हर दिन बढ़ता जा रहा है, सर्द हवाएं न केवल हमारे लिए ही मुश्किलें खड़ी कर रही हैं, बल्कि फसलों को भी उतना ही नुकसान हो रहा है। इन दिनों आलू की फसल के लिए यह ठंड काफी नुकसानदायक है। हवाओं के साथ पाला भी पड़ना शुरू हो चुका है, जिससे आलू की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। आलू की फसल में झुलसा रोग लगना भी शुरू हो चुका है, झुलसा रोग लगने से आलू की फसल लगाने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। उप परियोजना निदेशक आत्मा डाक्टर रमेश चंद्र यादव ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी झुलसा रोग नहीं आया है, वहां पहले ही मेंकोजेब या रिडोमिल 2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से तुरंत छिड़काव करें। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में यह बीमारी आलू में लग चुकी है उनमें साइमोक्सेनिल, मैंकोजेब या फिनेमिडोन मेंकोजेब तीन ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें, इसमें स्टिकर अवश्य डालें। उन्होंने किसानों से कहा कि वह इस प्रक्रिया को 10 दिन में दोहरा सकते हैं। उन्होंने किसानों को हिदायत जारी करते हुए कहा कि वह फसलों में जरूरत से अधिक कीटनाशक का उपयोग न करें।