आम की लकड़ी पर हवन से खत्म होते हैं वैक्टीरिया व विषाणु
जागरण संवाददाता बरईपार (जौनपुर) नवरात्र में माता रानी का पंडालों सहित मंदिरों में भक्त
जागरण संवाददाता, बरईपार (जौनपुर): नवरात्र में माता रानी का पंडालों सहित मंदिरों में भक्त पूजन-अर्चन कर रहे हैं। इस संबंध में मुरारी चंद पांडेय व्यास ने बताया कि शनिवार को महाष्टमी के दिन ही 11.27 बजे से नवमी लग जाएगी। हवन का कार्यक्रम रविवार को 11.14 बजे तक चलेगा। हवन करते समय हवन सामग्री को आम की सूखी लकड़ी पर करना चाहिए, क्योंकि इससे वैक्टीरिया और विषाणु खत्म होते हैं। नौ दिन तक व्रत रहने वाले रविवार को हवन करेंगे।
वहीं हवन के महत्व के बारे में भूगर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर डा. राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने बताया कि आम की लकड़ी पर हवन किया जाता है। जब आम की लकड़ी जलती है तो फार्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है जो कि खतरनाक वैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है। वातावरण को शुद्ध करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला। गुड़ को जलाने पर भी यह गैस उत्पन्न होती है। उन्होंने बताया कि हवन पर हुए रिसर्च में यह पाया कि यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाए अथवा हवन के धुएं से शरीर का संपर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है। हवन सामग्री की जुटाई और जलाने पर विषाणु नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि आम की लकड़ी एक किलो जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए, परंतु जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलाई गई तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद वैक्टीरिया का स्तर 94 फीसद कम हो गया। यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजूद जीवाणुओं का परीक्षण किया और पाया कि कक्ष के दरवाजे खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के 24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। उनका कहना था कि बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहते हैं। हवन कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम रहता है।