2890 स्वयं सहायता समूह महिलाओं को बना रहे स्वावलंबी
महिलाओं को हुनर सिखाकर स्वावलंबी बनाने के लिए जिले के विभिन्न विभागों द्वारा स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाता है। इसके लिए शासन द्वारा जिले वार लक्ष्य आवंटन के साथ ही विभिन्न प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
जागरण संवाददाता जौनपुर : महिलाओं को हुनर सिखाकर स्वावलंबी बनाने के लिए जिले के विभिन्न विभागों द्वारा स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाता है। इसके लिए शासन द्वारा जिले वार लक्ष्य आवंटन के साथ ही विभिन्न प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता भी दी जाती है। जनपद में नाबार्ड व जिला विकास कार्यालय से अब तक करीब 2890 स्वयं सहायता समूह बनाकर 32 हजार महिलाओं को उनके पैरों पर खड़ा किया गया है। इनसे जुड़कर महिलाएं स्वरोजगार कर रही हैं।
जिला विकास कार्यालय से वर्ष 2018-19 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय एनआरएलएम के तहत 618 स्वयं सहायता समूह योजना बनाना था, इसमें से 440 स्वयं सहायता समूह बनाकर स्वालंबी बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसमें करीब 4600 महिलाओं को लाभ दिया गया। इसका लाभ बीपीएल श्रेणी की महिलाओं को दिया जाना है। महिलाओं का फोरम के जरिए व्यक्तित्व विकास व हिचकिचाहट को दूर किया जाता है। इसमें सबसे पहले बैंक में खाता खोलवाकर लेन-देन की प्रक्रिया करके इनको सक्रिय किया जाता है। जिससे इनके अंदर सोचने समझने व रुपये का लेन-देन करने आ जाए। तीन माह बाद 15 हजार रुपये लोन देकर उद्योग शुरु करवाते है। इसमें न्यूनतम 10 व अधिकतम 20 सदस्य होते है। फिर इसकी सफलता के बाद कामकाजी महिलाओं को स्वरोजगार के लिए घरेलू हस्तशिल्प, शहद, मोमबत्ती, कढ़ाई-सिलाई आदि उद्योग के लिए लोन दिया जाता है। जिससे वह अपने व परिवार की आजीविका को आसानी से वहन कर सके। शासन से मिले लक्ष्य के तहत 618 समूह बनाकर गरीब महिलाओं को लाभान्वित किया जाना है। इसमें अभी 178 समूह बनाना बाकी है।
नाबार्ड के तहत महिला स्वयं सहायता समूह योजना में पिछले पांच वर्षो में दो 450 स्वयं सहायता समूह योजना बनाई गई है। इसमें सभी का खाता खोल दिया गया है। 668 समूहों को काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक, यूनियन बैंक से लोन देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके तहत 25 हजार गरीब परिवार की महिलाओं को लाभ पहुंच रहा है। इसका क्रियान्वयन भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, यूबीआई, काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक कर रहा है।
इस बाबत डीडीओ दयाराम ने बताया कि समूह सहायता योजना के तहत क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिससे महिलाओं के व्यक्तित्व का विकास व आजीविका दोनो चल सके। इस बाबत नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक आशीष त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2012 से अब तक 2450 समूहों का बचत खाता खोला गया है। इसके अलावा 668 समूहों को लोन दिया जा चुका है।