मेडिकल कालेज के निर्माण में फंसेगा पेंच
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सतीश ¨सह, जौनपुर
धन का अभाव और पुरानी कताई मिल का जर्जर भवन राजकीय मेडिकल कालेज के निर्माण की गति में एक बार फिर पेंच बनेगा। खामियों के कारण एक बार फिर निर्माण कार्य ठप होने की पूरी संभावना है। वजह पांच साल बीत जाने के बाद अभी तिहाई हिस्सा धन ही मिल सका है, दूसरी बात यह कि अब तक न हट सके कताई मिल के पुराने भवन भी बाधा बन रहे हैं। ऐसे में एकेडमिक बि¨ल्डग के काम अभी तक चालू नहीं हो सके। शासन प्रशासन कार्य में तेजी का बात जरूर कह रहा हैं, लेकिन अंदरखाने में तकनीकी मामला काफी गंभीर है, जो रुकावट का कारण बन ससकता है।
वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिले को मेडिकल कालेज की सौगात दिया था। दावा था कि दो वर्ष बाद जौनपुर के लोगों को मेडिकल कालेज की सुविधा मिलने लगेगी। निर्माण के लिए सरकार ने 554 करोड़ की लागत तय कर रखी थी। इसके लिए तत्कालीन सरकार ने लगभग सवा सौ करोड़ रुपये जारी भी कर दिया था। इसके बाद सरकार भी बदल गई। निर्माण कंपनियों के बार बार धन की मांग करने के बाद भी सरकार ने कोई धन जारी नहीं किया। कई बार श्रमिकों ने बकाये के चलते निर्माण कार्य रोक कर गेटबन्दी और प्रदर्शन किया। इसके बाद फिर निर्माण शुरू हुआ। पहले ओपीडी , हॉस्टल, एकेडमिक बि¨ल्डग, आवास समेत 28 बि¨ल्डग का निर्माण एक साथ चल रहा था, लेकिन वर्तमान सरकार में धन की कमी के चलते सभी भवनों का निर्माण कार्य रोककर सिर्फ ओपीडी का काम कराया जा रहा है। टाटा प्रोजेक्ट कंपनी सरकार के धन देने के आश्वासन पर निर्माण करा रही है। लेकिन अब आगे संभव नहीं है, अब तक महज 137 करोड़ रुपए ही मिल सका है। यदि जल्द सरकार ने धन नहीं जारी किया तो निर्माण कार्य ठप हो जाएगा। धन के अलावा मेडिकल कालेज निर्माण में जो इस समय सबसे बड़ी बाधा आ रही है, वह है कताई मिल की पुरानी बि¨ल्डगे। जिसमें अभी बड़ी काफी मशीनें लगी हुई हैं। उन्हें नीलामी और एनओसी मिलने के बाद तोड़ा जाना संभव है। मेडिकल कालेज के नक्शे में इसी पुराने भवन पर एकेडमिक बि¨ल्डग बनना है, जहां मेडिकल छात्रों की क्लास चलेंगी। सभी भवन एक साथ नहीं बनाए गए तो मेडिकल कालेज का चालू होना नामुमकिन है। यूपी निर्माण निगम के बड़े अधिकारियों की मानें तो मेडिकल कालेज निर्माण में धन और पुराने भवन बाधा बन रहे हैं जिसके चलते जल्द निर्माण कार्य रुक जाएगा।
मेडिकल कालेज निर्मण के लिए 554 करोड़ की अनुमानित लागत सरकार ने तय कर रखी थी। जो निर्माण सामग्री की मंहगाई के चलते बढ़कर 750 करोड़ के करीब पहुंच गई है। मेरी जानकारी में अभी तक सिर्फ 137 करोड़ का बजट निर्मण के लिए मिला हुआ है। इसके अलावा जहां मेडिकल कालेज की एकेडमिक बि¨ल्डग बननी है वहां कताई मिल के भवन के पुराने भवन और मशीनों को हटाने का कोई हल नहीं निकाला गया है। जिसके चलते निर्माण में बाधा आ रही है। हो सकता है कि काम भी रुक जाए।
जयराम यादव
सहायक अभियंता
यूपी निर्माण निगम