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ऊदपुर गेल्हवा में 17 जातियों के लोग करते हैं रामलीला का मंचन

सुनील चतुर्वेदी बदलापुर (जौनपुर) गंगा-जमुनी तहजीब के लिए विख्यात दुर्गा धर्म मंडल रामलीला समिति

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 04:27 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 01:27 AM (IST)
ऊदपुर गेल्हवा में 17 जातियों के लोग करते हैं रामलीला का मंचन
ऊदपुर गेल्हवा में 17 जातियों के लोग करते हैं रामलीला का मंचन

सुनील चतुर्वेदी

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बदलापुर (जौनपुर): गंगा-जमुनी तहजीब के लिए विख्यात दुर्गा धर्म मंडल रामलीला समिति ऊदपुर गेल्हवा इस बार अपनी 53 वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। ग्रामोत्सव के नाम से जाने जानी वाली इस रामलीला में गांव की 17 जातियों के लोग प्रतिभाग करते हैं, जो आज के समाज के लिए मिसाल है। इस रामलीला का खासियत है कि आधा दर्जन से अधिक 70 वर्ष के ऊपर वाले वृद्ध विभिन्न किरदारों को निभाते हैं।

वर्ष 1969 में शरद पूर्णिमा को गांव के बुजुर्ग सरजू प्रसाद शर्मा की अगुवाई में इस रामलीला का शुभारंभ हुआ था। जो इस बार अपनी 53 वीं वर्षगांठ ग्रामोत्सव के रूप में मनाने जा रही है। सामाजिक समरसता को स्थापित करने वाली इस रामलीला को 17 जातियों के लोग मिलकर खेलते हैं। रामलीला 20 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक चलेगी। इस साल तैयारी पूरी हो गई है। गांव निवासी बुजुर्ग बताते हैं कि 52 वर्ष पूर्व यहां रामलीला का मंचन शुरू हुआ था। जिसमें गांव के ठाकुर, ब्राह्मण, यादव, नाई, विश्वकर्मा, धोबी, निषाद, मुस्लिम, अनुसूचित जाति सहित अन्य जातियों के लोग मिलकर मंचन करते चले आ रहे हैं।

सत्यनारायण भगवान की कथा से होती है शुरुआत

रामलीला की शुरुआत भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने के बाद होती है। रामलीला रामचरित मानस, राधेश्याम रामायण की तर्ज पर होती है। समिति के प्रबंधक राजन सिंह व अध्यक्ष छोटेलाल विश्वकर्मा बताते हैं कि वर्षों से रामलीला में 85 वर्षीय सरयू प्रसाद शर्मा मंथरा, अहीर व बुढ्ढा, 75 वर्षीय भानु प्रताप सिंह विश्वामित्र, 81 वर्षीय राम मौर्य वशिष्ठ, 65 वर्षीय रामलाल विश्वकर्मा दशरथ व 70 वर्षीय रामबली सुषेन वैद्य की भूमिका निभाते हैं। जिनका जोश युवाओं से कम नहीं है। बुजुर्ग कलाकार किरदार ही नहीं निभाते, बल्कि रामलीला के सफल मंचन में पूरा सहयोग देते हैं। रामलीला के मंचन के लिए परदेशी अवकाश लेकर आते हैं तो बहन-बेटियां भी ससुराल से आ जाती हैं।


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