जीवन की व्यथा मिटाती है राम कथा
रामजानकी मंदिर सरोखनपुर के प्रांगण में चल रही रामकथा में रविवार को काशी से आए मानस कोविद डा. मदन मोहन मिश्र ने कहा कि निर्बल बलवान से डरता है निर्धन धनवान से डरता है मूर्ख विद्वान से डरता है किन्तु यह तीनों चरित्रवान से डरते हैं। उन्होंने कहा कि रावण बलवान इतना था कि चलत दशानन डोलत अवनीचलता था तो पृथ्वी डोलती थी विद्वान इतना था कि वेदों पर भाष्य करता था धनवान इतना था कि सोने का भवन था किन्तु चरित्रवान न होने के कारण उसका विनाश हो गया और आज भी दशहरे के दिन उसका पुतला दहन किया जाता है।
जासं, बदलापुर (जौनपुर): रामजानकी मंदिर सरोखनपुर के प्रांगण में चल रही रामकथा में रविवार को काशी से आए मानस कोविद डा. मदन मोहन मिश्र ने कहा कि निर्बल बलवान से डरता है, निर्धन धनवान से डरता है, मूर्ख विद्वान से डरता है किन्तु यह तीनों चरित्रवान से डरते हैं।
उन्होंने कहा कि रावण बलवान इतना था कि 'चलत दशानन डोलत अवनी'चलता था तो पृथ्वी डोलती थी, विद्वान इतना था कि वेदों पर भाष्य करता था, धनवान इतना था कि सोने का भवन था किन्तु चरित्रवान न होने के कारण उसका विनाश हो गया और आज भी दशहरे के दिन उसका पुतला दहन किया जाता है। मानस कोविद डा. मिश्र ने कहा कि श्रीराम कथा मानव जीवन की व्यथा मिटाती है। सत्संग सुख एवं शान्ति प्रदान करता है। कथा समापन पर आयोजक मंदिर के महंथ सर्वेश यादव ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर राजेश दुबे, धर्मेन्द्र शुक्ल, हरिश्चन्द्र विश्वकर्मा, रामराज पाल, हरिशंकर वर्मा, संतोष सिंह, विजय प्रताप सिंह, नीलेश यादव आदि मौजूद रहे।