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संवरने की बजाए बदरंग हो रही स्टेशनों की सूरत

जागरण संवाददाता, जौनपुर: रेलवे स्टेशनों की सूरत संवरने की बजाय बदरंग होती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 06:06 PM (IST)
संवरने की बजाए बदरंग हो रही स्टेशनों की सूरत
संवरने की बजाए बदरंग हो रही स्टेशनों की सूरत

जागरण संवाददाता, जौनपुर: रेलवे स्टेशनों की सूरत संवरने की बजाय बदरंग होती जा रही है। अधिकतर स्टेशनों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। रेलवे यात्रियों को बैठने, शौचालय तक की व्यवस्था नहीं। सूखे पड़े नलों की वजह से यात्रियों को पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। जहां एक ओर जौनपुर जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या पांच का आज तक विस्तार नहीं हो सका, वहीं दूसरी ओर सिटी स्टेशन का भी हाल बुरा है।

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जौनपुर जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या पांच का विस्तार आज तक नहीं हो सका है। मानक के मुताबिक प्लेटफार्म छोटा होने की वजह से एक्सप्रेस ट्रेनों के चार से पांच डिब्बे बाहर खड़े होते हैं, जिससे यात्रियों को ट्रेन में सवार होने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी ठंड-बरसात के दिनों में होती है। सिटी स्टेशन का भी हाल बुरा है। स्टेशन पर बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से यात्री परेशान हैं। रात के वक्त ट्रेन लेट होने पर स्थिति और खराब हो जाती है।

जौनपुर-औड़िहार रेलमार्ग पर भी यात्रियों का बुरा हाल है। यादवेंद्र नगर स्टेशन खुद की पहचान ही खो रहा है। जौनपुर के राजा रहे यादवेंद्र दत्त दुबे के नाम पर बनाए गए इस स्टेशन पर मुसाफिरों को पानी तक नसीब नहीं होता। यहां लगी सभी लाइटें खराब हैं, जबकि बैठने के लिए बनी कुर्सियां टूट चुकी हैं। मुफ्तीगंज स्टेशन पर लगी 20 स्ट्रीट लाइटों में अधिकतर खराब हैं। रेलवे ब्रिज पर लगी अधिकांश लाइटें जलती ही नहीं। इससे यात्रियों को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ता है। छह हैंडपंपों में दो खराब हैं। केराकत स्टेशन तहसील मुख्यालय का यह स्टेशन सबसे खराब स्थिति में है। स्टेशन का दर्जा छीनकर इसे हाल्ट स्टेशन बना दिया गया है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। यहां लगी सभी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है। यहां बने गोदाम पर अतिक्रमण हो चुका है। डोभी स्टेशन शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है।

इन मांगों पर नहीं हुआ विचार

स्थानीय लोगों ने केराकत को स्टेशन का दर्जा दिलाने, रेल आरक्षण टिकट केंद्र खोलने, छपरा-दिल्ली एक्सप्रेस व सुहेलदेव एक्सप्रेस का ठहराव करने समेत अन्य मांगों को जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से नहीं लिया।

उपेक्षा का दंश झेल रह बरसठी स्टेशन

बरसठी स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा को लेकर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। ब्रिटिश जमाने के इस स्टेशन पर आज भी मुसाफिरों को पानी व शौचालय के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्टेशन को बेहतर बनाने को लेकर दावे कई बार हुए, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो सका। यहां से पैंसेजर समेत कई एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन होता है, लेकिन यात्री सुविधाओं की ¨चता किसी को नहीं है।

जंघई स्टेशन

जंघई स्टेशन भी यात्रियों की जरूरतों को पूरा नहीं करता। यहां से रोजाना तकरीबन एक हजार यात्री सफर करते हैं, लेकिन स्टेशन पर यात्रियों के लिए न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही पानी की। इस बाबत यात्रियों की शिकायतों को भी कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।


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