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नहरों में पानी न आने से धान की नर्सरी पर ग्रहण

जून का महीना शुरू होने के बावजूद नहरों में पानी ने आने से धान की नर्सरी पर ग्रहण लग गया है। किसान मई के दूसरे पखवारे से ही पानी का इंतजार कर रहे हैं कितु अभी एक सप्ताह तक पानी आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 04:47 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 04:47 PM (IST)
नहरों में पानी न आने से धान की नर्सरी पर ग्रहण
नहरों में पानी न आने से धान की नर्सरी पर ग्रहण

जागरण संवाददाता, सरपतहां (जौनपुर): जून का महीना शुरू होने के बावजूद नहरों में पानी ने आने से धान की नर्सरी पर ग्रहण लग गया है। किसान मई के दूसरे पखवारे से ही पानी का इंतजार कर रहे हैं कितु अभी एक सप्ताह तक पानी आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।

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क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। अधिकतर क्षेत्र तराई होने की वजह से किसान मई माह में ही धान की कुछ अगैती प्रजातियों की नर्सरी तैयार करना शुरू कर देते हैं। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नहरों का जाल बिछे होने की वजह से किसान उसी पर आश्रित भी हैं। अमूमन हर साल मई के अंत तक पानी आ ही जाता था लेकिन इस बार गत लगभग एक माह से नहरों में धूल उड़ रही है। किसान मोटी मंसूरी, हाइब्रिड तथा अन्य प्रजातियों की नर्सरी अलग-अलग समय पर आगे-पीछे डालते हैं। क्षेत्र में मोटी मंसूरी की नर्सरी अधिकतम 20 से 25 मई तक पड़ जाती थी। इस बार जून माह लगने के बावजूद इक्का-दुक्का किसानों को छोड़ दें तो किसी ने भी नर्सरी नहीं डाली है। किसानों के लिए अब एक-एक दिन भारी पड़ रहा है।

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बोले किसान..

नहर में पानी आने का इंतजार गत एक सप्ताह से हो रहा है। जिसके चलते धान की नर्सरी डालने में देरी हो रही है। जल्द ही पानी नहीं आया तो नुकसान होना तय है।

-राघवेंद्र शुक्ला, नरवारी।

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हमारे यहां अधिकतर किसान छोटी काश्त के हैं। गांव से शारदा सहायक नहर गुजरती है इसलिए निजी पंपिग सेट कम ही हैं। जिनके पास अपनी व्यवस्था थी उन्होंने तो किसी तरह नर्सरी डाल ली लेकिन शेष किसान तो नहरों के ही भरोसे हैं।

-परमेंद्र गुप्ता, सूरापुर।

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इस बार नहर में पानी गर्मी के महीने में आया था जिसका कोई मतलब नहीं निकला। अब जरूरत है तो पानी ही नहीं है। मेरी सिचाई विभाग के अधिकारियों से मांग है कि जल्द से जल्द पानी छोड़ा जाए।

-भास्कर तिवारी, जौनपुर।

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मेरे गांव के बीच से ही शारदा सहायक खंड-36 गुजरती है। लिहाजा सारी खेती नहरों के ही भरोसे है। धान व गेहूं ही मुख्य फसल भी है। हमारी नर्सरी भी नहर में पानी आने के बाद ही डाली जाती है। इस बार पानी न आने से इसमें विलंब हो रहा है।

-सुशील सिंह, समसुद्दीनपुर।

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सात जून के बाद आएगा पानी

सुल्तानपुर, बाराबंकी सहित कुछ जिलों में नहरों में पुल आदि का काम चल रहा है। वैसे लखीमपुर खीरी से पानी छोड़े जाने की सूचना है। 7 से 10 जून के बीच जिले में पानी पहुंच जाएगा।

-रमेश चंद्र, हेड मुंशी शारदा सहायक खंड-36


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