दो बार आदेश, फिर भी गो-आश्रय केंद्रों नहीं गए बेसहारा पशु
जागरण संवाददाता जौनपुर बेसहारा पशु किसानों के लिए परेशानी का कारण बने हैं। शासन न
जागरण संवाददाता, जौनपुर: बेसहारा पशु किसानों के लिए परेशानी का कारण बने हैं। शासन ने सड़कों पर घूम रहे पशुओं को गो-आश्रय केंद्रों पर आश्रय देने का आदेश दिया है। इसके लिए दो बार तिथि भी बढ़ाई गई, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में पशु खेतों व सड़कों पर विचरण कर रहे हैं। फसलों को निवाला बनाने से किसान परेशान हैं।
किसानों ने पशुपालन से मुंह मोड़ लिया है। अधिकांश भूमिहीन परिवार भी मामूली पैसे में भोजन का इंतजाम होने के कारण मेहनत नहीं करना चाह रहा है। सरकार के गोवध पर कड़ाई से प्रतिबंध लगने के कारण बेसहारा पशुओं की बाढ़ सी आ गई है। पहले जहां अनुपयोगी पशुओं को छोड़ा जाता था तो अब अच्छी नस्ल के गोवंश से भी लोग दूध बंद करने के बाद पिड छुड़ा ले रहे हैं। पूर्व की भांति न तो गोसेवा का भाव है और न ही कोई श्रम करना चाह रहा है। सार्वजनिक स्थलों, सड़कों व खेतों में झुंड के झुंड विचरण करने वाले यह मवेशी जनता के लिए समस्या बन गए हैं। जनमानस के आक्रोश को देखते हुए सूबे की सरकार ने कांजी हाउस व अस्थाई पशु आश्रय केंद्र खोलकर बेसहारा पशुओं को आश्रय देने की व्यवस्था की है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में बेसहारा पशु विचरण कर रहे हैं। किसानों की बर्बाद हो रही फसलों को बचाने के लिए शासन ने एक जनवरी से दस जनवरी तक विशेष अभियान चलाकर पशुओं को गो-आश्रय केंद्र में रखने का निर्देश दिया था। निर्धारित तिथि बीतने के बाद भी बड़ी संख्या में पशु विचरण कर रहे हैं। शासन स्तर पर पुन: तिथि बढ़ाकर 17 जनवरी कर दी गई है। दूसरी बार बढ़ी तिथि बीतने में सिर्फ दो दिन शेष हैं, अभी भी बड़ी संख्या में बेसहारा पशु खेतों में जाकर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
बेसहारा पशुओं की जिले में स्थिति..
अस्थाई पशु आश्रय स्थल: 86
पशु आश्रय स्थल पर रखे गए मवेशी: 10210
एक जनवरी से अब तक पकड़े गए पशु: 743
एक पशु पर प्रतिमाह चारे को मिलेगा: 900
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बेसहारा पशुओं को पकड़ने के लिए एक जनवरी से अनवरत अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 743 पशुओं को पकड़कर पशु आश्रय केंद्रों पर भेजा जा चुका है। यह अभियान अनवरत जारी है। प्रयास है कि कोई भी बेसहारा पशु बाहर न छूट जाए।
-डाक्टर राजेश सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।