बेसहारा पशुओं से निजात का आदेश हवा-हवाई
अन्नदाताओं को बेसहारा पशुओं से निजात का फरमान हवा-हवाई रहा। सख्त आदेश के बाद भी ब्लाकों में पांच-पांच अस्थाई पशु आश्रय केंद्र नहीं खुले। झुंड के झुंड गोवंश खेतों में पहुंचकर किसानों के अरमानों की फसल चौपट कर दे रहे हैं। बर्बादी की कगार पर पहुंचे अन्नदाताओं का धैर्य जवाब दे रहा है।
लापरवाही
-चौपट हो रही फसल, बर्बादी की कगार पर अन्नदाता
-ब्लाकों में नहीं खुले पांच-पांच पशु आश्रय केंद्र
जासं, जौनपुर: अन्नदाताओं को बेसहारा पशुओं से निजात का फरमान हवा-हवाई रहा। सख्त आदेश के बाद भी ब्लाकों में पांच-पांच अस्थाई पशु आश्रय केंद्र नहीं खुले। झुंड के झुंड गोवंश खेतों में पहुंचकर किसानों के अरमानों की फसल चौपट कर दे रहे हैं। बर्बादी की कगार पर पहुंचे अन्नदाताओं का धैर्य जवाब दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि 10 जनवरी तक बेसहारा पशु खेतों और सड़कों पर नहीं दिखने चाहिए। सबको अस्थायी या स्थायी गोआश्रयों में पहुंचा दिया जाए। सरकार ने इसके लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी की है। गाइड लाइन के मुताबिक गोआश्रयों में खाने-पीने, स्वास्थ्य और सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम रहेगा। आदेश के अनुपालन में डीएम दिनेश सिंह ने किसानों की समस्या को देखते हुए सभी विकास खंडों में पांच-पांच पशु आश्रय केंद्र खोलकर बेसहारा पशुओं को आश्रय देने का आदेश दिया था। निर्धारित तिथि बीत गई लेकिन अभी तक किसी भी ब्लाक में पांच केंद्र नहीं खोले जा सके।
व्यवस्था न होने के कारण बड़ी संख्या में विचरण करने वाले पशु समस्या का पर्याय बने हुए हैं। यह खेतों में पहुंचकर फसल को चट कर जा रहे हैं। शिकायत करते-करते आजिज किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है और वह विद्यालयों व सार्वजनिक भवनों में बेसहारा पशुओं को बंद कर दे रहे हैं।
धूल फांक रहा 23 पन्नों का शासनादेश
पशुपालन विभाग द्वारा 23 पन्नों का शासनादेश जारी किया गया और इसे प्रशासनिक अधिकारियों के साथ प्रदेश के सभी डीएम और एसएसपी को भेजा गया है। शासनादेश में कहा गया कि बेसहारा पशु सड़कों और खेतों में घूमते न पाए जाएं। बेसहारा पशुओं खासकर गोवंश को आश्रय स्थल में ले जाकर रखा जाए। गोवंश आश्रय स्थल के निर्माण के लिए जमीन चिह्नित की जाए। वहां पर पानी, खाने से लेकर बिजली और चारे की व्यवस्था की जाए।
अस्थाई पशु आश्रय केंद्रों में रखे गए हैं 4600 गोवंश
जिले में अभी तक 64 पशु आश्रय केंद्र खोला गया है। इन केंद्रों में सिर्फ 4600 पशुओं को रखकर जिला प्रशासन ने खानापूर्ति कर ली है। अधिकांश केंद्रों पर दहाई की संख्या में पशु रखे गए हैं। नगर सहित ग्रामीण अंचलों में लगभग दस हजार से ज्यादा बेसहारा पशु किसानों के बर्बादी का कारण बने हैं।
मुफ्त में पशु व चारे का पैसा फिर भी नहीं मिल रहे पशुपालक
जौनपुर: बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या से जहां पशुपालक त्राहि-त्राहि कर रहे हैं वहीं जिला प्रशासन भी परेशान हैं। बेसहारा पशुओं को आश्रय देने में असफल शासन-प्रशासन का एक और प्रयोग फेल होता नजर आ रहा है। मुफ्त में पशुओं को देकर चारे व रख-रखाव के लिए प्रति माह नौ सौ रुपये का भुगतान देने का शासनादेश है। पैसा देने के बाद भी पशुपालन को लोग आगे नहीं आ रहे हैं।
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जनपद में 21 पशु आश्रय केंद्र पूर्व में खुले थे। चार-चार और पशु आश्रय केंद्र खोलकर पशुओं को रखा जा रहा है। जिले के पशु पालकों ने प्रक्रिया पूर्ण कर 225 पशु पालन के लिए ले गए। शीघ्र ही उनके खाते में प्रति पशु तीस रुपये के हिसाब से धनराशि भेज दी जाएगी। इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर चार पशुओं को ले जा सकते हैं।
डा. वीरेंद्र सिंह
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी