Move to Jagran APP

मौसम में हो रहे बदलाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप

मौसम के उतार-चढ़ाव का आम की मंजरियों पर पड़ रहा है। तापमान में कमी व बढ़ोत्तरी के चलते फुदका कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम के बौर का रस चूसकर बर्बाद कर दे रहे हैं। वहीं अरहर व चने की फसल को फली छेदक कीट नष्ट कर रहे हैं। उत्पादन प्रभावित न हो इसके लिए दवाओं का प्रयोग करें।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 05:48 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 05:48 PM (IST)
मौसम में हो रहे बदलाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप
मौसम में हो रहे बदलाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम के उतार-चढ़ाव का आम की मंजरियों पर पड़ रहा है। तापमान में कमी व बढ़ोत्तरी के चलते फुदका कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम के बौर का रस चूसकर बर्बाद कर दे रहे हैं। वहीं अरहर व चने की फसल को फली छेदक कीट नष्ट कर रहे हैं। उत्पादन प्रभावित न हो इसके लिए दवाओं का प्रयोग करें।

loksabha election banner

मार्च माह में कभी तेज धूप तो कभी आसमान में बादल छाए रहते हैं। तापमान में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है। ऐसे मौसम में कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ गया है। किसान चना, अरहर व आम की फसल बर्बाद होने के चलते चितित हैं।

कृषि विशेषज्ञ डा.संदीप कन्नौजिया ने कहा कि तापमान में उतार-चढ़ाव व आसमान में बादल के चलते आम में फुदका कीट का प्रकोप है। माहो के आकार के यह छोटे-छोटे कीट फूलों के रस को चूस रहे हैं। जिससे बौर के कमजोर होकर झड़ने का खतरा बढ़ गया है। इतना ही नहीं यह कीड़े मीठा लसलसा पदार्थ छोड़ते हैं जिससे बौर में फफूंद लग जाते है और काला भी पड़ जाते हैं। इसके संपर्क में आने से पत्तियां भी काली पड़ जा रही हैं। इन कीड़ों के प्रकोप से आम की फलत प्रभावित हो जाएगी।

सलाह दिया कि इमिडा क्लोप्रिड आधा एमएल या एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तीन दिन बाद काले बौर व पत्तियों पर कार्बेंडाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कार करें। इसके अलावा दो ग्राम मैंकोजेब का घोल बनाकर छिड़कें। अगर कम प्रकोप हो तो घुलनशील सल्फर ढाई ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते चना और अरहर की फसल को फलीछेदक कीटों से बचाने के लिए इंडास्काकार्ब एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर एक पखवारे के भीतर दो बार छिड़काव करें। इस दवा की उपलब्धता न होने पर क्लोरपाइरीफाश व साइपरमेथ्रिन दो मिलीमीटर एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.