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चाचा-भतीजा की मौत से गांवभर में सिसक और सन्नाटा

कोकना गांव के पास सोमवार की रात सड़क हादसे में चाचा-भतीजा की मौत से गढ़ा गोपालापुर गांव में मंगलवार को दिन भर मातमी सन्नाटा पसरा रहा। यह सन्नाटा टूटता था तो मृत चाचा-भतीजा के घर से रह-रहकर उठने वाले करुण क्रंदन से।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 06:57 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 06:57 PM (IST)
चाचा-भतीजा की मौत से गांवभर में सिसक और सन्नाटा
चाचा-भतीजा की मौत से गांवभर में सिसक और सन्नाटा

जागरण संवाददाता, खुटहन (जौनपुर): कोकना गांव के पास सोमवार की रात सड़क हादसे में चाचा-भतीजा की मौत से गढ़ा गोपालापुर गांव में मंगलवार को दिनभर मातमी सन्नाटा पसरा रहा। यह सन्नाटा टूटता था तो मृत चाचा-भतीजा के घर से रह-रहकर उठने वाले करुण-क्रंदन से। अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले। बिलख रहे मृतकों के स्वजनों को ढांढ़स बंधाने के लिए घर पहुंचने वाले गांव के लोग और नात-रिश्तेदार खुद अपनी आंखों के आंसू रोक नहीं पा रहे हैं।

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उक्त गांव निवासी राजनाथ गौतम को क्या पता था कि रिश्तेदारी में आयोजित भोज में शामिल होना उसका और उसके भतीजे की मौत का कारण बन जायेगा। सोमवार की शाम भोज में जाते समय उसने बाइक पर भतीजे अंकित (15) को भी बैठा लिया। रिश्तेदारों ने रात अधिक हो जाने का हवाला देते हुए रुकने को कहा। पर राजनाथ शार्ट कट रास्ते से जल्दी पहुंचने की बात कहते हुए निकल पड़ा। कोकना गांव के मोड़ के पास तेज रफ्तार कार के बाइक में जोरदार टक्कर मार देने से चाचा-भतीजे की मौत हो गई। काफी देर तक दोनों घर नहीं पहुंचे तो स्वजनों ने रिश्तेदारी में फोन किया। पता चला कि दोनों को निकले काफी देर हो चुकी है। तब किसी अनहोनी की आशंका से तलाश करते हुए सीएचसी पहुंचे तो वहां शवों को देखते ही धाड़ें मारकर रोने लगे। खबर लगते ही पूरे गांव का माहौल गगमीन हो गया।

मृत राजनाथ की चार पुत्रियां नेहा (10), निधि (8), सुंदरी (6) व साल भर की प्रतिज्ञा है। वह मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता था। रोते-रोते निढाल होकर गिर जाने वाली पत्नी चंद्रिका बार-बार एक ही बात कह रही है कि किसके सहारे बाकी जिदगी गुजारेगी। कैसे बेटियों का भविष्य संवारेगी। कैसे उनके हाथ पीले करेगी। पिता फुन्नन बुढ़ापे की लाठी छिन जाने से फफककर रो रहे हैं। तीन भाइयो में मंझले अंकित गौतम की मौत से माता अंजू देवी की हालत विक्षिप्त सी हो गई है। पिता राज कुमार कभी स्वजनों को ढांढ़स बंधाते हैं तो कभी खुद बिलख पड़ते हैं।


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