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ग्राम स्वास्थ्य निधि का लाखों रुपये खाते में, नहीं हो रहा छिड़काव

जनपद संचारी रोगों की चपेट में है। अस्पतालों में बीमार लोगों की भीड़ है वहीं दूसरी तरफ गांवों में साफ-सफाई एंटी लार्वा का छिड़काव आदि का कार्य कागजों तक ही सीमित है। अधिकांश गांवों में व्यय का ब्यौरा न दिए जाने के कारण ग्राम पंचायतों के ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समिति के खाते में धनराशि होने के बाद भी उपयोग नहीं हो पा रहा है वहीं 2201 समितियों में सिर्फ 570 का ही हस्ताक्षर प्रमाणित हो सका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 10:15 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 10:15 PM (IST)
ग्राम स्वास्थ्य निधि का लाखों रुपये खाते में, नहीं हो रहा छिड़काव
ग्राम स्वास्थ्य निधि का लाखों रुपये खाते में, नहीं हो रहा छिड़काव

जागरण संवाददाता, जौनपुर : जनपद संचारी रोगों की चपेट में है। अस्पतालों में बीमार लोगों की भीड़ है, वहीं दूसरी तरफ गांवों में साफ-सफाई, एंटी लार्वा का छिड़काव आदि का कार्य कागजों तक ही सीमित है। अधिकांश गांवों में व्यय का ब्यौरा न दिए जाने के कारण ग्राम पंचायतों के ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समिति के खाते में धनराशि होने के बाद भी उपयोग नहीं हो पा रहा है, वहीं 2201 समितियों में सिर्फ 570 का ही हस्ताक्षर प्रमाणित हो सका है।

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केंद्र सरकार से संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के तहत गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 500 से अधिक आबादी वाले गांवों में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समिति का गठन किया जाना है। समिति का अध्यक्ष ग्राम प्रधान, उपाध्यक्ष क्षेत्रीय एएनएम और आधा दर्जन सदस्य होते हैं। समिति की ओर से ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य व स्वच्छता के दृष्टिकोण से दीर्घकालीन व अल्पकालीन योजनाएं तैयार कर ग्राम स्वास्थ्य निधि के धन से उनका क्रियान्वयन करना होता है।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से प्रत्येक राजस्व गांव को हर साल दस हजार रुपये दिए जाते हैं। धन ग्राम प्रधान व एएनएम के संयुक्त खाते में भेजा जाता है। इनमें पहली किस्त निर्गत की जाती है। इस धन को खर्च करने के बाद उपभोग प्रमाण पत्र देने पर दूसरी किस्त जारी होती है। खर्च न करने पर पैसा लैप्स हो जाता है। योजना के दायरे में जनपद में 2,201 राजस्व गांव आते हैं। इन गांव में समितियों का गठन करके खाता खोलने का आदेश तीन साल पूर्व दिया गया था।

उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ 2,037 गांवों का ही खाता खुल पाया है। इतना ही नहीं पूर्व ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद किसी गांव से उपभोग प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। इतना ही नहीं अभी तक सिर्फ 570 नए ग्राम प्रधानों का हस्ताक्षर प्रमाणित हो पाया है।

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जनपद में मच्छरजनित बीमारियों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण समितियों को साफ-सफाई, एंटी लार्वा का छिड़काव आदि का निर्देश दिया गया है। आशा कार्यकर्ताओं से पूर्व में भेजी गई धनराशि का उपभोग प्रमाण पत्र देने और जल्द से जल्द नए ग्राम प्रधानों का हस्ताक्षर प्रमाणित करने को कहा गया है, ताकि ग्राम स्वास्थ्य निधि की धनराशि का उपयोग हो सके।

-डा. लक्ष्मी सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी।


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