..अब आम के बौर में बढ़ा रोग का खतरा
जागरण संवाददाता जौनपुर मौसम के उतार-चढ़ाव का असर आम के बौर पर भी पड़ने लगा है। तापम
जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम के उतार-चढ़ाव का असर आम के बौर पर भी पड़ने लगा है। तापमान में कमी व वृद्धि के चलते फुदका कीटों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम के बौर का रस चूसकर बर्बाद कर दे रहे हैं, वहीं अरहर व चने की फसल को भी फली छेदक कीट नष्ट कर रहे हैं। उत्पादन प्रभावित न हो इसके लिए दवाओं का छिड़काव जरूरी है।
गत आठ दिनों से कभी तेज धूप तो कभी आसमान में बादल छा जा रहे हैं। तापमान में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है। ऐसे मौसम में कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ गया है। किसान चना, अरहर व आम की फसल बर्बाद होने के चलते चितित हैं। वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक एसएन सिंह ने बताया कि तापमान में उतार-चढ़ाव व आसमान में बादल के चलते आम के बौर में फुदका कीट का खतरा बढ़ गया है। माहो के आकार के यह छोटे-छोटे कीट फूलों के रस को चूस रहे हैं। जिससे बौर के कमजोर होकर झड़ने का खतरा रहता है। इतना ही नहीं यह कीड़े मीठा लसलसा पदार्थ छोड़ते हैं जिससे बौर में फफूंद लग जाते हैं और काला भी पड़ जाते हैं। इसके संपर्क में आने से पत्तियां भी काली पड़ जा रही हैं। इन कीड़ों के प्रकोप से आम की फसल प्रभावित हो जाएगी। सलाह दिया कि इमिडा क्लोप्रिड आधा एमएल या एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तीन दिन बाद काले बौर व पत्तियों पर कार्बेंडाजिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कार करें। इसके अलावा दो ग्राम मैंकोजेब का घोल बनाकर छिड़कें। अगर कम प्रकोप हो तो घुलनशील सल्फर ढाई ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। उन्होंने ने बताया कि तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते अगेती चना और अरहर की फसल को फली छेदक कीटों से बचाने के लिए इंडास्काकार्ब एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर एक पखवारे के भीतर दो बार छिड़काव करें। इस दवा की उपलब्धता न होने पर क्लोरपाइरीफाश व साइपरमेथ्रिन दो मिलीमीटर एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।