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Jaunpur Weather Update : आसमान में बादलों का डेरा, तापमान में आंशिक वृद्धि से ठंड से राहत

ठंड की मार को जनमानस को फौरी राहत मिल गई है। कोहरे के बादल छंट गए लेकिन आसमान में बादलों का डेरा है। सर्द हवाओं के थमने के साथ ही तापमान में वृद्धि बरकरार है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार बारिश होने के आसार हैं।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 10:28 AM (IST)
Jaunpur Weather Update : आसमान में बादलों का डेरा, तापमान में आंशिक वृद्धि से ठंड से राहत
ठंड की मार को जनमानस को फौरी राहत मिल गई है।

जौनपुर, जेएनएन। ठंड की मार को जनमानस को फौरी राहत मिल गई है। कोहरे के बादल छंट गए, लेकिन आसमान में बादलों का डेरा है। सर्द हवाओं के थमने के साथ ही तापमान में वृद्धि बरकरार है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार बारिश होने के आसार हैं। इसके बाद पुनः शीतलहर का कहर बरप सकता है। सोमवार की रात भी कोहरे का घनत्व काफी कम रहा। दृश्यता  होने के कारण आवागमन में खास परेशानी नहीं हुई। सुबह ही सूरज की किरणें धरती पर उतरने के लिए संघर्ष करती रहीं। अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस रहा। 

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कृषि विज्ञान केन्द्र बक्शा के मौसम वैज्ञानिक डा. पंकज जायसवाल ने बताया कि मंगलवार की सुबह 8 बजे तक तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहा। हवा पश्चिमोत्तर से 4से 6किमी / घंटा  की रफ्तार से चल रही हैं। इसके सापेक्ष आर्द्रता 78 फीसद रही। इसके साथ ही 10:00 बजे 18डिग्री सेल्सियस, 12:00 बजे 21डिग्री और 4 बजे तक 23 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जाएगा। शाम पांच बजे के बाद सूरज की किरणों के मद्धिम पड़ने के साथ ही पारे के गिरने का क्रम शुरू हो जाएगा। रात 12 बजे 18डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। इसके बाद पारा पुनः गिरने लगेगा।

फसलों के लिए नुकसानदेह साबित होगा यह मौसम

इस वर्ष मौसम में काफी बदलाव दिखाई दे रहा है।  दिसंबर महीने से लेकर अब तक जो तापमान होना चाहिए वह नहीं है। जाड़े की फसलों के लिए अधिकतम तापमान  20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम 5 से  7 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए।  इसके अलावा कुछ कोहरा या अच्छी प्रकार ओस पड़नी चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा के वैज्ञानिक डाक्टर संदीप कुमार ने बताया कि मौसम सूखा रहने  एवं तापमान में बढ़ोत्तरी से गेहूं का उत्पादन कम हो जाता है, क्योंकि वानस्पतिक वृद्धि अच्छी प्रकार नहीं हो पाती है। समय से पहले बालियां निकलनी शुरू हो जाती हैं, दलहनी फसलों जैसे चना , मसूर एवं मटर में कीटों की संख्या बढ़ने लगती है। कुल मिलाकर रबी की फसलें जो भी हो सूखा मौसम रहने से वानस्पतिक वृद्धि प्रभावित हो जाती हैं। परिणाम स्वरूप पैदावार कम हो जाती है


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