पंचायत चुनाव बाद गूंजा चकबंदी के विरोध का मुद्दा
विकास खंड के अधिकतर ग्राम पंचायतों के चुनाव म
जागरण संवाददाता, मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर): विकास खंड के अधिकतर ग्राम पंचायतों के चुनाव में भले ही गांव का विकास ही सबसे अहम मुद्दा रहा हो, लेकिन क्षेत्र के सबसे बड़े गांव तरहटी का मसला जुदा था। तरहटी के अधिकतर लोगों का एलान था कि अबकी तो प्रधान उसी को चुनेंगे जो गांव में चकबंदी प्रक्रिया का विरोध करेगा। मैदान में उतरे ज्यादातर उम्मीदवारों ने चकबंदी रोकवाने का ही वादा कर वोट मांगा। चुनाव में चकबंदी विरोध का विरोध ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया।
लगभग 15 हजार की आबादी वाले तरहटी गांव में 7535 मतदाता हैं। इनमें से 3848 मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। आठ प्रत्याशियों के भाग्य 13 मतपेटियों में बंद हो चुके हैं। अधिकांश प्रत्याशियों ने चकबंदी रोकने का दावा करके ही वोट मांगा। गांव के लोगों का आरोप है कि वर्ष 2013 में प्रधान निलंबित थे। उनके स्थान पर तीन सदस्यीय समिति कार्यरत थी। उस दौरान निजी स्वार्थ के लिए कुछ लोगों ने गांव वालों को आवास, पेंशन आदि सरकारी सुविधाओं का झांसा देकर भोले-भाले ग्रामीणों से चकबंदी कराने संबंधी मांग पत्र पर हस्ताक्षर करा लिए थे। ऊंची पहुंच व प्रभाव का इस्तेमाल कर चकबंदी आयुक्त से चकबंदी कराने का आदेश करा लिया था। चकबंदी आदेश की जानकारी होते ही ग्रामीणों का विरोध मुखर हो गया। अदालत का दरवाजा भी खटखटाया। रमेश पांडेय, अनमोल दुबे, संतोष उपाध्याय, अरुण उपाध्याय, राम खेलावन पटेल, भरत तिवारी, राम सेवक यादव, लाल बहादुर यादव आदि लोग चाहते हैं कि गांव में चकबंदी न हो। उनका कहना है कि 1999 में धारा 52 का प्रकाशन हो चुका है। प्रकाशन के 14 साल बाद ही दोबारा चकबंदी के आदेश का कोई औचित्य नहीं है। मुंगरा परगना के 132 गांवों में कहीं भी चकबंदी नहीं हो रही है तो तरहटी में ही चकबंदी क्यों होगी। ग्रामीणों का दावा है कि इस बार मतदाताओं ने उस उम्मीदवार को ताज पहना दिया है जो ग्रामीणों के सुर में सुर मिलाते हुए चकबंदी रोकवा सके। फिलहाल चकबंदी की मांग करने वाले भी भाग्य आजमा रहे हैं। मैदान कौन मारेगा, यह दो मई को वोटों की गिनती के बाद ही पता चल पाएगा।