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जिले में चिह्नित किए गए दो हजार संदिग्ध

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश भर में छिड़ी बहस के बीच जिला प्रशासन ने कई दशक से जिले में दूसरी जगहों से आकर बसे करीब दो हजार संदिग्ध बांग्लादेशी व ईरानी शरणार्थियों की निगरानी बढ़ा दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 05:29 PM (IST)
जिले में चिह्नित किए गए दो हजार संदिग्ध
जिले में चिह्नित किए गए दो हजार संदिग्ध

जागरण संवाददाता, जौनपुर: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश भर में छिड़ी बहस के बीच जिला व पुलिस प्रशासन ने कई दशक से जिले में दूसरी जगहों से आकर बसे करीब दो हजार संदिग्ध बांग्लादेशी व ईरानी शरणार्थियों को चिह्नित कर उनकी निगरानी बढ़ा दी है। सरकारी खुफिया एजेंसियां इनकी पल-पल की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी हुई हैं। इनकी जन्म कुंडली भी खंगाली जा रही है।

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खुफिया सूत्रों का कहना है कि करीब चार दशक पहले धीरे-धीरे आकर शहर में इन शरणार्थियों ने जौनपुर जंक्शन व शाहगंज रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर डेरा जमाना शुरू किया। फिर चोरी-छिपे शहर में धरनीधरपुर और शाहगंज में रेल लाइन के किनारे झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहने लगे। आज संदिग्ध बांग्लादेशियों की तादाद 1600 से अधिक और ईरानियों की 270 तक पहुंच चुकी है। संदिग्ध ईरानियों में से ज्यादातर ने शहर के सिपाह मोहल्ले में अचला देवी घाट रोड पर पूरी बस्ती बना रखी है। यही नहीं कुछ बेगमगंज में सदर इमामबाड़े के पास रैन बसेरा तक बनाये हुए हैं। वहीं बहुतायत बांग्लादेशियों में से कइयों ने अपने पक्के घर बनवा लिये हैं और तो और सरकारी तंत्र की ढिलाई का फायदा उठाते हुए कुनबे के बालिग सदस्यों का नाम मतदाता सूचियों में भी दर्ज करा लिया है। यही नहीं मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, आधार कार्ड तक बनवा लिया है। यदा-कदा होती है छानबीन

यदा-कदा जब प्रशासन इनके बारे में छानबीन करता है तो संदिग्ध बांग्लादेशी खुद के पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद व अन्य जिलों का नागरिक होने तो संदिग्ध ईरानी कश्मीर व लद्दाख का निवासी होने का दावा करते हैं। श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम धमाका और प्रतिबंधित संगठन सिमी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने की कवायद के समय सरकार के निर्देश पर इन्हें चिह्नित करने की बड़े पैमाने पर मुहिम छेड़ी गई थी। धीरे-धीरे यह कार्य ठंडा पड़ गया। अब एक बार फिर प्रशासन खुफिया तंत्र के माध्यम से इन संदिग्ध नागरिकों पर बारीकी से नजर रखने के साथ ही इनका पुश्त दर पुश्त खंगालने में जुटा हुआ है। क्या है इनका पेशा

इन संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों ने आजीविका चलाने के लिए कई तरह के धंधे अपना रखे हैं। बांग्लादेशी आमतौर पर कूड़ा-कचरा से प्लास्टिक व शीशे के शीशी-बोतल आदि बीनकर कबाड़ियों के यहां बेचते हैं। इससे उनकी तीन सौ से पांच सौ तक की रोजाना की कमाई हो जाती है। कुछ तो भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं। वहीं संदिग्ध ईरानी घूम-घूमकर चश्मा और बात-बात में फंसाकर रत्न व उपरत्न बेचते हैं।

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वर्जन

जिले में रह रहे जिन्हें बांग्लादेशी और ईरानी शरणार्थी कहा जाता है वे देश के ही आश्रय हिस्सों से आकर बसे गरीब मुसलमान हैं। समय-समय पर इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। अलबत्ता कुछ पाकिस्तानी काफी समय पहले यहां आने के बाद लापता हो गए हैं। उनके बारे में छानबीन कराई जा रही है।

-डा. एके पांडेय, एएसपी (सिटी)।


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