हवा में कितनी जहर है, बयां कर रही लाशों की तादाद
जागरण संवाददाता खुटहन (जौनपुर) कोविड-19 के संक्रमण ने किस हद तक वातावरण को जहरील
जागरण संवाददाता, खुटहन (जौनपुर): कोविड-19 के संक्रमण ने किस हद तक वातावरण को जहरीला बना दिया है, इसका मंजर देखना हो तो क्षेत्र के पिलकिछा गांव में गोमती नदी तट पर स्थित श्मशान घाट चले आइए। सामान्य दिनों में इस श्मशान घाट पर जहां चार से छह पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि होती थी, आज लगभग 30
शव प्रतिदिन जलाए जा रहे हैं। इतनी तादाद में होने वाली मौतों का जिम्मेदार कौन है। हम खुद के भीतर झांकें तो अंतर्मन से एक ही जवाब मिलता है कोरोना वायरस संक्रमण। बावजूद इसके हम चेत नहीं रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण से बचाव संबंधी दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी संबंधी सामान्य गाइडलाइन का भी पालन नहीं
कर रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डाक्टर राजेश रावत का कहना है कि यदि अब भी हम नहीं चेते तो आगे स्थिति और भी भयावह होनी तय है।
श्मशान के डोमराज घिन्नी लाल डोम कहते हैं कि अप्रैल माह के पहले दिन आठ, दूसरे दिन 11, तीसरे दिन 13 के हिसाब से शव आने में बढ़ोतरी होने लगी। इन दिनों प्रतिदिन घाट पर 25 से 35 शव अंत्येष्टि के लिए आ रहे हैं। इस महीने घाट पर 650 से ज्यादा शवों का दाह संस्कार हो चुका है। सुतौली घाट पर भी दर्जनों शवों की रोज अंत्येष्टि हो रही है। मृतकों में अधिकतर 60 साल से कम आयु के होते हैं। क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की भी बड़ी आबादी है। जिनके शव कब्रिस्तान में दफन किए जाते हैं। यदि दोनों श्मशान और कब्रिस्तान की संख्या जोड़ी जाए तो यह साठ से अधिक हो जाएगी। मौत के इस भयावह मंजर के बाद भी लोग बाजारों, मांगलिक कार्यक्रमों व अन्य सामूहिक स्थलों पर कोविड-19 से बचाव के प्रति उदासीन देखे जा रहे हैं।