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तिलवारी पिलकिछा का ऐतिहासिक मेला आज

कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर शुक्रवार को आदिगंगा गोमती नदी के तट के तिलवारी व पिलकिछा घाट पर श्रद्धालु पवित्र स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। इसी के साथ ही यहां का सप्ताह भर चलने वाला ऐतिहासिक मेला भी शुरू हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 06:10 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 06:10 PM (IST)
तिलवारी पिलकिछा का ऐतिहासिक मेला आज

जागरण संवाददात, खुटहन (जौनपुर) : कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर शुक्रवार को आदिगंगा गोमती नदी के तट के तिलवारी व पिलकिछा घाट पर श्रद्धालु पवित्र स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। इसी के साथ ही यहां का सप्ताह भर चलने वाला ऐतिहासिक मेला भी शुरू हो जाएगा। हालांकि प्रशासन की ओर से मैदान में साफ-सफाई न कराए जाने से लोगों में नाराजगी है।

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मान्यता है कि जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर पुष्पक विमान से लक्ष्मण, जानकी और वानरी सेना संग वापस अयोध्या लौट रहे थे तो कुछ क्षणों के लिए उनका विमान यहां उतरा था। सभी ने इस घाट पर पवित्र नदी का जल ग्रहण किया था। तभी से पूर्णिमा पर यहां दूरदराज से श्रद्धालु आकर स्नान और दान करते हैं। यहां चलने वाला साप्ताहिक मेला खेती-किसानी के औजारों के लिए विशेष माना जाता है।

कुदाल, फावड़ा, खुर्पा, गड़ासा, कुल्हाड़ी, हंसिया, मिट्टी के बर्तन और लकड़ी से बनने वाले अन्य कृषि उपयोगी उपकरणों को खरीदने दूर-दराज से लोग आते हैं। मेले का गट्टा प्रसिद्ध है। यहां दो से पांच-पांच किलो तक के गट्टे बनाए जाते हैं। मेले में झूला और सर्कस बच्चों के लिए विशेष आकर्षण होता है।


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