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भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजे के मामले की हुई सुनवाई

जागरण संवाददाता चंदवक (जौनपुर) वाराणसी-आजमगढ़ फोरलेन मार्ग पर भूमि अधिग्रहण के मुआव

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 08:51 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 08:51 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजे के मामले की हुई सुनवाई
भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजे के मामले की हुई सुनवाई

जागरण संवाददाता, चंदवक (जौनपुर) : वाराणसी-आजमगढ़ फोरलेन मार्ग पर भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के मामले की न्यायालय ़फास्ट ट्रैक प्रथम के यहां सुनवाई बुधवार को हुई। इसमें डोभी क्षेत्र सहित केराकत तहसील के दर्जनों किसानों का मामला है। इसके लिए करीब छह वर्ष पहले वाद दाखिल हुआ था।

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वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर फोरलेन निर्माण को भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में सर्किल रेट के हिसाब से न्यूनतम दर से मुआवजा घोषित होने के बाद किसानों ने विरोध किया था। भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना वर्ष 2012 में जारी की गई। वर्ष 2013 में थ्री-डी का प्रकाशन हुआ। वर्ष 2015 में दस गांव व 2018 में 18 गांव के किसानों ने वाद दाखिल किया। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण ने इस मार्ग के लिए 15.8 किमी तक का दस गांवों का सर्किल रेट से न्यूनतम मुआवजा घोषित किया। इसको भी किसानों ने नहीं माना और विरोध कर दिया। किसानों का कहना था कि जौनपुर के किसानों को न्यूनतम दर पर जबकि अन्य जगहों पर अधिकतम दर पर प्रतिकर दिया गया था। इसी विसंगति को लेकर किसान आंदोलित थे। इसमें तीन श्रेणी के गांव हैं। किसानों ने जिलाधिकारी के न्यायालय में वाद दाखिल किया। जिसकी सुनवाई करते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी बलकार सिंह ने न्यूनतम दर को निरस्त करते हुए सक्षम प्राधिकारी मुख्य राजस्व अधिकारी ने पुन: दर का निर्धारण किया। जिससे असंतुष्ट होकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की तरफ से जिलाधिकारी न्यायालय में वाद दायर किया गया। जिसमें हितबद्ध किसानों को पक्षकार नहीं बनाया गया। इसके बाद किसानों ने जिलाधिकारी न्यायालय में आवेदन किया तब किसान पक्षकार बने। जिसकी सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी ने औसत दर से प्रतिकर का निर्धारण किया। जिससे असंतुष्ट होकर राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ से जिला जज के न्यायालय में चार हजार किसानों के खिलाफ वाद दाखिल किया गया। जिसको लेकर बुधवार को अपर जिला जज ़फास्ट ट्रैक प्रथम के न्यायालय में बहस हुई। हालांकि अभी कोई फैसला नहीं आया है।


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