पुलिस होती सक्रिय तो डाक्टर की न जाती जान
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते किए गए लॉकडाउन का पुलिस सक्रियता से पालन कराती तो शायद डा. शमीम की जान न जाती। मृतक के स्वजन ही नहीं ग्रामीण भी घटना के लिए पुलिस की उदासीनता को जिम्मेदार मान रहे हैं।
जासं, सुरेरी (जौनपुर): लॉकडाउन का पुलिस सक्रियता से पालन कराती तो शायद डा. शमीम की जान न जाती। मृतक के स्वजन ही नहीं ग्रामीण भी घटना के लिए पुलिस की उदासीनता को जिम्मेदार मान रहे हैं।
गत सोमवार को सरायडीह गांव निवासी एक व्यक्ति की किराना की दुकान रात लगभग आठ बजे तक खुली थी। उसी समय पड़ोसी गांव वासूपुर निवासी डा. शमीम (55) कुछ सामान खरीदने पहुंच गए। वहीं सरायडीह गांव का सैफुल्लाह आ गया। दुकान स्वामी व सैफुल्लाह के बीच किसी बात पर विवाद होने लगा। डा. शमीम बीच-बचाव करने लगे। यही बात सैफुल्लाह को नागवार लगी और उसने स्वजनों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे स्वजनों ने डा. शमीम को लाठी-डंडे से पीटकर कर अधमरा कर दिया। भदोही के निजी अस्पताल से बीएचयू ट्रामा सेंटर रेफर किए जाने पर वहीं बुधवार की भोर में उनकी मौत हो गई। इससे गांव में तनाव की स्थिति बन गई। ग्रामीणों व स्वजनों का आरोप था कि जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी उक्त दुकानदार लॉकडाउन का उल्लंघन कर दुकान खोले रहता था। कई बार शिकायत किए जाने पर भी थानाध्यक्ष ने गंभीरता से नहीं लिया। खबर लगते ही एसपी अशोक कुमार ने आकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। क्षेत्राधिकारी मड़ियाहूं के नेतृत्व में तीन थानों की फोर्स की मौजूदगी में शव को दफन किया गया। थानाध्यक्ष श्याम दास वर्मा ने बताया कि मृतक के स्वजन की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।