13 गांवों में हरित क्रांति सपना को झटका
13 गांवों में हरित क्रांति का सपना चकनाचूर होता जा रहा है। वजह वर्षों से सोनौरा पंप कैनाल के कटने से 600 हेक्टेयर भूमि दुर्व्यवस्था की भेंट चढ़ जाती है।
जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर) : 13 गांवों में हरित क्रांति का सपना चकनाचूर होता जा रहा है। वजह वर्षों से सोनौरा पंप कैनाल के कटने से 600 हेक्टेयर भूमि दुर्व्यवस्था की भेंट चढ़ जाती है। यह अलग बात है कि किसान किसी तरह जोताई-बोआई करते हैं, लेकिन पंप के चलते ही हेड के पास नहर टूट जाती है और उनकी फसल अक्सर खराब हो जाती है।
किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सोनौरा पंप कैनाल स्टेज द्वितीय बखोपुर की स्थापना हुई। इसके बाद बखोपुर, छंगापुर, लेदुका, कटहरी, बेलावा, चंवरी, सलामतपुर, पूरा सांवल, रमईपुर, बरबसपुर, मोलनापुर, खालिसपुर, नरेंद्रपुर गांव के किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। होता भी क्यों न, जो अ¨सचित क्षेत्र में पंप कैनाल स्थापित हो गया, लेकिन समय बीतने के साथ जंग लगना शुरु हो गया। दशकों से यह पंप कैनाल किसानों को पूरी तरह धोखा दे दिया। बताते हैं कि पंप कैनाल को चलाने के लिए 150 व 75 एचपी की दो मोटरें लगी हैं, जो आए दिन खराब रहती हैं। अब जो मोटर सही है तो नहर ही धोखा दे रही है, क्योंकि पंप के चालू होते ही हेड के पास टूट नहर का टूट जाना आम बात हो गई है। इसके चलते बखोपुर गांव से ही पानी आगे नहीं बढ़ पाता। इन गांवों के किसान रवि की बोआई को लेकर परेशान हैं। आपूर्ति न होने पर नहर पाटने का चलेगा अभियान
कैनाल से लाभांवित होने वाले किसान राजेश तिवारी, ¨पटू ¨सह, राजेश ¨सह, प्रदीप तिवारी, रामजतन पाल, सुनील तिवारी आदि किसान काफी आक्रोशित हैं। वे अब तो यह कहने लगे हैं कि यदि एक सप्ताह में जर्जर हो चुकी नहर की सफाई कराकर पानी की आपूर्ति नहीं की गई तो किसान नहर पाटने का अभियान चलाएंगे। सफाई न होने से आ रही दिक्कत
किसानों का कहना है कि कागज पर नहर की सफाई वैसे तो हर साल होती है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं। इससे कैनाल के चालू होते ही कहीं न कहीं नहर टूट जाती है। इसके चलते बखोपुर गांव से ही पानी आगे नहीं बढ़ पाता है। शेष गांव ¨सचाई से वंचित रह जाते हैं। संविदाकर्मी के भरोसे है कैनाल
पंप कैनाल संविदाकर्मी राम अवतार के भरोसे है। किसानों ने बताया कि कभी भी विभाग के जिम्मेदार नहीं आते। इसके चलते पूरी व्यवस्था लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है। अधिकारियों-कर्मचारियों के आवास जर्जर होकर जमींदोज हो गए तो संविदाकर्मी विद्युत उपकेंद्र पर ही अपना आशियाना बनाकर पावर हाउस व कैनाल का संचालन करता है। एक माह में पांच बार कटी नहर
किसानों ने बताया कि नहर की दुर्दशा की स्थिति यह है कि एक माह में नहर पांच बार कट चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नहर किस कदर जर्जर है। अब-तक इसके जीर्णोद्धार हेतु सैंकड़ों बार समाधान दिवस, कमिश्नर तक को प्रार्थना पत्र दिया जा चुका है, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात निकला।
स्वीकृति मिलते ही होगी सफाई
पंप कैनाल के एसडीओ सीडी पाठक ने कहा कि पंप कैनाल चलवाने के लिए पूरी तरह विभाग तैयार है। नहर की सफाई का इस्टीमेट बन गया है। स्वीकृति मिलते ही सफाई शुरु हो जाएगी।