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मौसम के उतार-चढ़ाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम के उतार-चढ़ाव में दलहनी-तिलहनी फसलें बर्बाद हो रही हैं। सबसे अधिक प्रभाव आम की मंजरियों पर पड़ रहा है। तापमान में कमी व बढ़ोत्तरी के चलते फुदका कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम के बौर का रस चूसकर बर्बाद कर दे रहे हैं। फरवरी माह में कभी तेज धूप तो कभी आसमान में बादल छाए रहते हैं। तापमान में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है। ऐसे मौसम में कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ गया है। किसान दलहनी, तिलहनी व आम की फसल बर्बाद होने के चलते ¨चतित हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 07:36 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 07:36 PM (IST)
मौसम के उतार-चढ़ाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप
मौसम के उतार-चढ़ाव से आम में फुदका कीट का प्रकोप

जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम के उतार-चढ़ाव में दलहनी-तिलहनी फसलें बर्बाद हो रही हैं। सबसे अधिक प्रभाव आम की मंजरियों पर पड़ रहा है। तापमान में कमी व बढ़ोत्तरी के चलते फुदका कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीट आम के बौर का रस चूसकर बर्बाद कर दे रहे हैं।

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फरवरी माह में कभी तेज धूप तो कभी आसमान में बादल छाए रहते हैं। तापमान में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है। ऐसे मौसम में कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ गया है। किसान दलहनी, तिलहनी व आम की फसल बर्बाद होने के चलते ¨चतित हैं।

जिला उद्यान अधिकारी हरिशंकर ने कहा कि तापमान में उतार-चढ़ाव व आसमान में बादल के चलते आम में फुदका कीट का प्रकोप है। माहो के आकार के यह छोटे-छोटे कीट फूलों के रस को चूस रहे हैं। जिससे बौर के कमजोर होकर झड़ने का खतरा बढ़ गया है। इतना ही नहीं यह कीड़े मीठा लसलसा पदार्थ छोड़ते हैं जिससे बौर में फफूंद लग जाते है और काला भी पड़ जाते हैं। इसके संपर्क में आने से पत्तियां भी काली पड़ जा रही हैं। इन कीड़ों के प्रकोप से आम की फलत प्रभावित हो जाएगी।

उन्होंने सलाह दिया कि इमिडा क्लोरोपिड आधा ग्राम एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। काले बौर व पत्तियों पर सल्फर व मैंकोजेब का घोल बनाकर छिड़काव करें। तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते चना की फसल में फूल झड़ने और फलियों में कीड़े लगने की शिकायत किसान कर रहे हैं। इस प्रकोप से उत्पादन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने सलाह दिया कि दो प्रतिशत यूरिया या एक प्रतिशत एनपीके 100 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति बीघा छिड़काव करें। चार-पांच दिन बाद इंडास्काकार्ब एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर एक पखवारे के भीतर दो बार छिड़काव करें।


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