Move to Jagran APP

नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का व्रत आज से

जागरण संवाददाता जौनपुर संतान प्राप्ति पुत्रों के दीर्घजीवी व यशस्वी होने की मनोकामना पूर्ति

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 04:44 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 04:44 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का व्रत आज से
नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का व्रत आज से

जागरण संवाददाता, जौनपुर:

loksabha election banner

संतान प्राप्ति, पुत्रों के दीर्घजीवी व यशस्वी होने की मनोकामना पूर्ति के लिए चार दिवसीय सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि चतुर्थी यानी आठ नवंबर को नहाय खाय से प्रारंभ होकर 11 नवंबर को उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर समापन होगा। इस पर्व की जनपद में तैयारी जोर-शोर से चल रही है। सोमवार को व्रती महिलाएं अलसुबह स्नान ध्यान के बाद भगवान सूर्य की आराधना कर व्रत का संकल्प लेंगी। इसके साथ ही पूजा की तैयारी शुरू हो गई हैं। बाजार में भी सूप, दउरा के साथ ही पूजन सामग्री की दुकानें सज गई हैं। परिजन घाटों पर स्थान की तलाश में जुट गए हैं। अधिकांश व्रती अपने घरों पर पूजा करने लगे हैं।

व्रत के पहले दिन यानी नहाय खाय में भक्त पवित्र नदियों, तालाबों में स्नान करते हैं। इसके बाद अपने लिए पूरा खाना तैयार करते हैं। इस दौरान लौकी-भात और चना की दाल खाते हैं। इन सभी सामग्रियों को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस खाने को खाकर महिलाएं खाकर खुद को व्रत के लिए तैयार करती हैं। चार दिवसीय इस पर्व की जनपद में तैयारी जोर-शोर से चल रही है। घरों के साथ ही पूजन के लिए घाटों पर साफ-सफाई शुरू हो गई है। वहीं खरीदारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। बड़ी संख्या में परदेशी पर्व मनाने के लिए घर को लौट रहे हैं।

डाला छठ व्रत का प्रसाद

डाला छठ व्रत का मुख्य प्रसाद ठेकुआ है। यह गेहूं का आटा, गुड़ और देशी घी से बनाया जाता है। प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पकाया जाता है। ऋतु फल में नारियल, केला, पपीता, सेब, अनार, कंद, सुथनी, गागल, ईख, सिघाड़ा, शरीफा, संतरा, अनन्नास, नींबू, पत्तेदार हल्दी, पत्तेदार अदरक, कोहड़ा, मूली, पान, सुपारी, मेवा आदि का साम‌र्थ्य के अनुसार गाय के दूध के साथ अ‌र्घ्य दिया जाता है। यह दान बांस के दऊरा, कलसुप नहीं मिलने पर पीतल कठवत या किसी पात्र में दिया जा सकता है।

बंद कमरे में व्रती करते

हैं खरना का प्रसाद ग्रहण

नहाय-खाय के दूसरे दिन सभी व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। सुबह से व्रत के साथ इसी दिन गेहूं आदि को धोकर सुखाया जाता है। दिन भर व्रत के बाद शाम को पूजा करने के बाद व्रती खरना करते हैं। इस दिन गुड़ की बनी हुई चावल की खीर और घी में तैयार रोटी व्रती ग्रहण करेंगे। कई जगहों पर खरना प्रसाद के रूप में अरवा चावल, दाल, सब्जी आदि भगवान भास्कर को भोग लगाया जाता है। इसके अलावा केला, पानी सिघाड़ा आदि भी प्रसाद के रूप में भगवान आदित्य को भोग लगाया जाता है। खरना का प्रसाद सबसे पहले व्रती खुद बंद कमरे में ग्रहण करते हैं। खरना का प्रसाद मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है।

80 से 120 रुपये बिके सूप

पूजा सामग्री की खरीद के लिए रविवार को अवकाश के दिन भी बाजार में काफी चहल-पहल रही। सूप, दउरा, मिट्टी के दीये के साथ फल और कद्दू की खूब खरीदारी हुई। कद्दू 40 से 60 रुपये किलो तक बिका। बाजार में सूप 80 से 20 रुपये, दउरा 150 से 250 रुपये, नारियल 30 से 40 रुपये, शुद्ध घी प्रतिकिलो 400 से 800 रुपये बिका।

चार दिवसीय उपासना का पर्व

08 नवंबर- सोमवार- नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।

09 नवंबर- मंगलवार: खरना।

10 नंवबर- बुधवार- छठ पूजा, डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य।

11 नवंबर- गुरुवार- उगते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य, छठ पूजा समापन।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.