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अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य आज

सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की चहुंओर धूम है। चार दिवसीय पर्व के दूसरे दिन श्रद्धा व उल्लास से लबरेज व्रती महिलाओं ने शुक्रवार को दिन भरखरनारखा। दिनभर निर्जला उपवास रखा। शाम समय में स्नान कर छठी मइया की पूजा विधि विधान से करने के बाद उन्हें रसियाव खीर शुद्ध घी लगी रोटी केला का भोग लगाया गया। इसके बाद खुद खरना का प्रसाद ग्रहण किया। शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजन करेंगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 10:58 PM (IST)
अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य आज

जागरण संवाददाता, जौनपुर : सूर्योपासना के महापर्व डाला छठ की चहुंओर धूम है। गुरुवार से शुरू चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धा व उल्लास से लबरेज व्रती महिलाओं ने शुक्रवार को दिनभर खरना का व्रत रखा। इस दौरान पूरे दिन निराजल उपवास रखकर शाम को स्नान कर छठी मइया की विधि-विधान से पूजा कीं। इसके बाद उन्हें रसियाव, खीर, शुद्ध घी लगी रोटी व केला का भोग लगाया गया। इसके बाद खुद खरना का प्रसाद ग्रहण किया। वहीं परिजनों ने पूजन के लिए घाटों पर जाकर वेदी बनाने के साथ ही पूजन किया। शनिवार को यहीं पर व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजन करेंगी।

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शाम को पूजन कर खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों ने सुहागिनों की मांग भरकर उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद परिवार और आस-पास के लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया। इसी के साथ 36 घंटे का निराजल व्रत शुरू हो गया। पूजन को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर गोमती नदी समेत गांवों के जलाशयों के किनारे सजावट की जा रही है। रविवार को उदयाचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ व्रत का पारण होगा।

पूजन सामग्री की सजी दुकानें :

उधर, पर्व पर शहर में जगह-जगह पूजन सामग्रियों की अस्थाई दुकानें सज गई हैं। लोग पूजा के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। नगर के ओलंदगंज, कोतवाली, सब्जी मंडी, चहारसू चौराहा, पालिटेक्निक चौराहा सहित अन्य फल बाजारों में पर्व को लेकर रौनक दिखी। मंडी में सामान्य फलों व गन्ना के साथ ही कई तरह के खास फल की दुकानें सजी रहीं।

केराकत, शाहगंज, जफराबाद, चंदवक समेत विभिन्न क्षेत्रों में छठ महापर्व श्रद्धा व विश्वास के साथ मनाया जा रहा है। व्रती महिलाओं ने पूरे दिन व्रत रखकर शाम को स्नान-ध्यान के बाद पूजन किया। इसके बाद छठी मइया को प्रसाद चढ़ाकर केला के पत्ते में गो माता व श्वान को प्रसाद खिलाकर खुद और सगे-संबंधियों में वितरित किया।


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