फलों की खरीदारी को बाजार में लगी भीड़
सूर्योपासना के पर्व की धूम शुक्रवार को बाजारों में दिखी। छठ पूजा के लिए नया चावल गुड़ व सूप-दउरा गन्ना फल-फूल आदि की अस्थाई दुकानें चौराहे पर सजी रही। पूजन के लिए जमकर खरीदारी की गई। छठ पर्व पर अर्घ्य देने के लिए सूप-दउरा ओडिशा व झारखंड से मंगाए गए तो घाघरा नींबू मुजफ्फरपुर और संतरा मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से मंगाया गया है। बाजार फलों से सजा रहा। ऋतु फलों के साथ ही अन्य की भी बिक्री खूब हुई। शहर के कोतवाली चौराहा सब्जी मंडी स्टेशन रोड ओलंदगंज पालिटेक्निक सिपाह आदि इलाकों में विशेष रूप से दुकानें लगाई गई हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: सूर्योपासना के पर्व की धूम शुक्रवार को बाजारों में दिखी। छठ पूजा के लिए नया चावल, गुड़ व सूप-दउरा, गन्ना, फल-फूल आदि की अस्थाई दुकानें चौराहे पर सजी रहीं। पूजन के लिए जमकर खरीदारी की गई।
छठ पर्व पर अर्घ्य देने के लिए सूप-दउरा ओडिशा व झारखंड से मंगाए गए तो घाघरा नींबू मुजफ्फरपुर और संतरा मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से मंगाया गया है। बाजार फलों से सजा है। छठ पूजा को लेकर ऋतु फलों के साथ ही अन्य की भी बिक्री खूब हुई। शहर के कोतवाली चौराहा, सब्जी मंडी, स्टेशन रोड, ओलंदगंज, पालिटेक्निक, सिपाह आदि इलाकों में विशेष रूप से दुकानें लगाई गई हैं। बाजार में खरीदारी को पहुंची महिलाओं का कहना है कि महंगा हो अथवा सस्ता, चढ़ाने के लिए फल तो खरीदना ही है। सबकी पूर्ति छठ माता खुद करती हैं। उधर, दुकानदारों का कहना है कि यह पर्व तो महज चार दिन का ही है। इसी में जितना हो सकेगा बिक पाएगा। बाद में तो बाजार पुराने ढर्रे पर चलेगी।
बाजार में फलों के भाव :
पर्व को देखते हुए दामों में कोई विशेष बढ़ोत्तरी नहीं दिखी। अनन्नास जहां 40 रुपये पीस तो घाघरा नींबू (अमरस) 40 रुपये पीस, अंगूर 300 रुपये किलो, सेब 65 से 80 रुपये, संतरा 140 से 160 रुपये, शरीफा 120 रुपये किलो बिका। वहीं कईत पांच रुपये पीस, नारियल 20 से 25 रुपये, सुथनी पांच रुपये पीस, गन्ना 20 से 30 रुपये पीस, नासपाती 140 रुपये किलो, इमली 60 रुपये, तरबूज 120 रुपये, अमरूद, कंदा व सिघाड़ा 40-40 रुपये किलो बिका।
क्या है पूजन विधि :
छठ पूजा के लिए नदी या तालाब किनारे मिट्टी से सुशोभिता बनाई जाएगी। फलों को सुपली या डलिया में 6, 12 या 24 की संख्या में रखा जाता है। इसमें संतरा, अनन्नास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल, साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ शामिल रहता है। इसी के साथ शनिवार को दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य से डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद सुशोभिता की पूजा होगी। इसके बाद रविवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होगा। अर्घ्य देने का तरीका :
अस्ताचलगामी सूर्य को तीन बार अर्घ्य दिया जाता है। रात्रि जागरण के पश्चात उगते हुए सूर्य को इसी तरह अर्घ्य प्रदान किया जाता है। पति-पुत्र या ब्राह्मण अर्घ्य दिला सकते हैं। इनके न रहने पर व्रती महिलाएं खुद भी यह काम कर सकती हैं। इसके बाद वे गीले आंचल से ही अपने बच्चों के शरीर को पोंछती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके बच्चों को चर्म से संबंधित रोग नहीं होता।