सर्द हवाओं ने बढ़ाई गलन, कोहरे ने रोकी रफ्तार
शीतलहर का कहर बढ़ता ही जा रहा है। गुरुवार की सुबह सर्द हवाओं के साथ ही घने कोहरे की चादर ने मानो जीवन की रफ्तार ही रोक दी। सुबह दस बजे के बाद सूरज की किरणें धरती पर उतरीं लेकिन ठंड से राहत नहीं मिली।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: शीतलहर का कहर बढ़ता ही जा रहा है। गुरुवार की सुबह सर्द हवाओं के साथ ही घने कोहरे की चादर ने मानो जीवन की रफ्तार ही रोक दी। सुबह दस बजे के बाद सूरज की किरणें धरती पर उतरीं, लेकिन ठंड से राहत नहीं मिली। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में लगातार कमी होती जा रही है। मौसम के उतार-चढ़ाव से फसलों में रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।
रात में कोहरे का घनत्व काफी अधिक होने से दृश्यता न होने के कारण आवागमन में काफी परेशानी हुई। अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम छह डिग्री सेल्सियस रहा। कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा के मौसम वैज्ञानिक डाक्टर पंकज जायसवाल ने बताया कि पहाड़ों पर अनवरत हो रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षोभ के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शुक्रवार को भी मौसम ठंड ही रहेगा। मौसम की यह स्थिति तीन-चार दिनों तक बरकरार रहने के आसार हैं। बच्चों, वृद्ध व बीमार लोगों का ठंड से बचाव करें। पशुओं का भी इस मौसम में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाक्टर संदीप कुमार ने कहा कि मौसम से इस उतार-चढ़ाव के कारण फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। तापमान में गिरावट एवं पाले की वजह से खाद्यान्न एवं सब्जियों की पत्तियां पीली होकर झुलसने लगती हैं और फूल गिरने लगते हैं। पिछेती आलू की फसल में झुलसा बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा अरहर का फूल झड़ने लगता है। उन्होंने सलाह दिया कि सब्जियों की नर्सरी को पालिथीन, टाट या भूसे से ढक दें। गेहूं, सरसों एवं अरहर की फसल में 600 ग्राम घुलनशील सल्फर को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। जरूरत के हिसाब से खेत की हल्की सिचाई करते रहें। इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं हो पाता है और पाले का असर कम हो जाता है।