सिविल कारावास पाए दोषी एक माह में करा सकते हैं जमानत या कर सकते हैं अपील
जौनपुर वर्ष 2007 में न्यायालय के स्थगन आदेश की अवमानना के मामले में एक माह के सिविल कारावास की सजा पाए केराकत के तत्कालीन एसडीएम सहदेव मिश्र तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविद पटेल को अदालत ने एक महीने की मोहलत दी है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: वर्ष 2007 में न्यायालय के स्थगन आदेश की अवमानना के मामले में एक माह के सिविल कारावास की सजा पाए केराकत के तत्कालीन एसडीएम सहदेव मिश्र, तहसीलदार पीके राय व लेखपाल अरविद पटेल को अदालत ने एक महीने की मोहलत दी है। इस अवधि में दोषी या तो कोर्ट में हाजिर होकर जमानत कराएं या कोर्ट में फिर अपील करें। अपील करने पर पूर्व में जारी आदेश स्थगित हो जाएगा। ऐसा न करने पर मियाद बीतने के बाद यदि वादी की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया तो न्यायालय के आदेश का कराया जाएगा। उस दशा में कोर्ट दोषियों की गिरफ्तारी का आदेश कर सकती है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कलेक्ट्रेट स्थित सिविल कारागार या जेल में रखा जाएगा। जहां सजा काटनी पड़ेगी।
वादी के अधिवक्ता वशिष्ठ नारायण शुक्ल ने बताया कि सजा की अवधि में अपने ऊपर होने वाले खर्च को दोषियों को ही वहन करना होगा। इस दौरान उनसे कोई काम नहीं लिया जाएगा। बताया कि ऐसे ही मामलों में 1984 व 1986 में विपक्षियों को कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था।
तत्कालीन डीएम भी हुए थे दोषी
अधिवक्ता सुभाष मिश्र ने बताया कि 1992 के बदलापुर के बांकेलाल बनाम स्टेट मामले में तत्कालीन डीएम अनुराग यादव व एसडीएम राजामौलि व तहसीलदार को कोर्ट के स्थगन आदेश के उल्लंघन का दोषी पाया गया था। सजा पर सुनवाई के लिए तिथि नियत की गई। आरोपितों के अपील करने पर जिला जज की अदालत ने लोअर कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। मामला अभी विचाराधीन है।