जेल में अनुशासनहीनता और अराजकता चरम पर
श्रमजीवी बम विस्फोट कांड के मुजरिम आतंकवादियों के निरुद्ध होने के कारण सूबे की संवेदनशील जेलों में से एक जिला कारागार में अनुशासनहीनता व अराजकता का बोलबाला है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: श्रमजीवी बम विस्फोट कांड के मुजरिम आतंकवादियों के निरुद्ध होने के कारण सूबे की संवेदनशील जेलों में से एक जिला कारागार में अनुशासनहीनता व अराजकता का बोलबाला है। जेल प्रशासन द्वारा की जा रही लापरवाही किसी भी दिन फिर जेल में किसी सनसनीखेज घटना का कारण बन सकती है। शनिवार को जिला कारागार में फिर दो बंदियों के बीच हुई मारपीट की घटना में सख्त कार्रवाई करने की बजाय जेल प्रशासन ने एक बार फिर बंदियों व बंदी रक्षकों को चेतावनी देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली।
शनिवार की देर शाम भोजन के साथ सलाद खाने को लेकर बैरक नंबर तीन में निरुद्ध बदलापुर थाना क्षेत्र के मिरशादपुर गांव का हत्यारोपित विशाल ¨सह व चंदन के बीच मारपीट हो गई। दोनों को हल्की चोटें आईं। चंदन का कारागार के अस्पताल में ही उपचार कराया गया जबकि विशाल ¨सह को जिला अस्पताल भेजा गया। उसके चेहरे पर दाढ़ी के पास कट गया था। डाक्टर ने टांका लगाकर पंद्रह मिनट के भीतर ही छुट्टी दे दी। बता दें, जेल में दबंगई दिखाने वाले विशाल ¨सह की करीब तीन महीने पहले प्रतापगढ़ निवासी एक बंदी से मारपीट हो गई थी। जेल प्रशासन ने मारपीट करने वाले बंदियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय उन्हें चेतावनी व बंदी रक्षकों को सतर्कता बरतने की हिदायत देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। तीन माह पूर्व हुई मारपीट के बाद भी जेल प्रशासन ने ऐसा ही किया था। यदि तब सख्त कार्रवाई की गई होती तो शायद यह घटना न घटती। ऐसी घटनाओं को कमतर आंकना ही किसी दिन किसी गंभीर घटना का कारण बन सकती है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2000 में अलसुबह जेल में निरुद्ध शातिर अपराधी जय प्रकाश ¨सह जेपी पर एके-47 से हमला किया गया था। जेपी तो बच गया था लेकिन कैथी निवासी धीरेंद्र ¨सह नामक बंदी की मौत हो गई थी। साल भर ही बीते थे कि सितंबर 2001 में बागी हो गए बंदियों ने बंदी रक्षक सुनील शेट्टी की जेल परिसर में ही ईंट-पत्थर से कूंचकर हत्या कर दी थी। कई घंटे तक भारी बवाल काटा था। इन घटनाओं के बाद यह जेल पूरे सूबे में चर्चा का विषय बन गई। श्रमजीवी बम धमाके के आरोपी आतंकियों के निरुद्ध होने के बाद इस जेल को सुरक्षा की ²ष्टि से सूबे की सबसे संवेदनशील जेलों की फेहरिश्त में डाला जा चुका है। इसके बाद भी ऐसी अनुशासनहीनता और अराजकता तो इसी बात की गवाही देती है कि जेल प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा है।
चाकू नहीं, थाली से किया था प्रहार
जौनपुर: जेल अधीक्षक एके मिश्र ने कहा कि शनिवार को बंदियों के बीच हाथापाई हुई थी। विशाल ¨सह को चाकू नहीं बल्कि दूसरे बंदी द्वारा थाली से किए गए प्रहार से चोट आई थी। इस घटना के बाद बंदियों को चेतावनी दी गई है। बंदी रक्षकों को हिदायत दी गई है कि वे बंदियों पर निगरानी पूरी सतर्कता से करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जेल में क्षमता से चार गुना ज्यादा बंदी हैं। साढ़े ग्यारह सौ से अधिक बंदियों पर नजर रखने के लिए बंदी रक्षकों की संख्या भी अपर्याप्त है।