48 साल बाद तीसरी पीढ़ी को मिला न्याय
खेतासराय थाना क्षेत्र के पोरईकला के भूमिधरी के विवाद में 48 वर्ष बाद तीसरी पीढ़ी को न्याय मिला। अपर जिला जज प्रकाश चंद शुक्ला ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर अपील स्वीकृत कर लिया।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : खेतासराय थाना क्षेत्र के पोरईकला के भूमिधरी के विवाद में 48 वर्ष बाद तीसरी पीढ़ी को न्याय मिला। अपर जिला जज प्रकाश चंद शुक्ला ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर अपील स्वीकृत कर लिया।
दो मुकदमे रामफेर बनाम तुलेसरा व रामफेर बनाम रामबली 1975 में आठ बीघा भूमिधरी के संबंध में सिविल जज की कोर्ट में दाखिल हुआ। वादी के पक्ष में डिक्री भी हो गया। इसके खिलाफ तुलेसरा व उसके पति रामबली ने क्रमश: 1982 व 1998 में अपील प्रस्तुत किया। तर्क दिया गया कि रामफेर व रामदुलार ने कूटरचित खुश्की मोवाहिदा (एग्रीमेंट) तुलेसरा व उनके पति रामबली के हस्ताक्षर से 29 अप्रैल 1974 के जरिए प्रस्तुत किया, जबकि तुलेसरा व रामबली ने झूरी व झिनकू निवासी पोरईकला के पक्ष में दो पंजीकृत बैनामा 24 अगस्त 1974 व 27 अगस्त 1974 को लिखा था।
इसकी काट के लिए फर्जी मोवाहिदा बैक डेट से तैयार किया गया। सिविल जज ने इन सबके बावजूद रामफेर व रामदुलार के पक्ष में आदेश कर दिया। इस बीच वादी व प्रतिवादी पक्ष से कई लोगों की मौत हो गई। तीसरी पीढ़ी मुकदमा लड़ रही थी। अधिकतर सबूत भी नष्ट हो चुके थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सिविल जज का आदेश 23 फरवरी 1982 को निरस्त कर अपील को स्वीकृत कर लिया। मुकदमे की पैरवी रमेश चंद्र उपाध्याय ने 11वें अधिवक्ता के रूप में की है।