उम्र को पीछे छोड़ लेखन को दे रहे धार
जिस उम्र में लोग सोचना व चलना छोड़ देते हैं उसी 83 वर्ष की उम्र में भी साहित्यकार डा. सत्य नारायण दुबे शानदार लेखन कर रहे है।
दीपक उपाध्याय
जागरण संवाददाता, जौनपुर: जिस उम्र में लोग सोचना व चलना छोड़ देते हैं उसी 83 वर्ष की उम्र में भी साहित्यकार डा. सत्य नारायण दुबे शानदार लेखन कर रहे है। मूलत: जिले के मड़ियाहूं क्षेत्र के ददरा निवासी एक ऐसे लेखक हैं जो पांच दशक से पुस्तकों के लेखन में जुटे हैं। इन्हें लोग डा. शरतेंदु के नाम से भी जानते हैं।
हाल में डा. शरतेंदु ने गीता के संस्कृत श्लोक को हिदी में अनुवाद किया है। पत्नी के निधन के बाद भी साहित्य लेखन में रमते हुए कर्म को चरितार्थ कर रहे है। इनकी बीएड, एमएड, बीटीसी समेत करीब 50 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक 300 से अधिक पुस्तकों का वे लेखन कर चुके हैं। इनकी पुस्तक का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा तक कर चुके हैं।
डा. शरतेंदु ने एक जुलाई 1964 से 30 जून 1999 तक गांधी स्मारक पीजी कालेज समोधपुर में शिक्षक-शिक्षा विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कार्य किया। इनकी नियुक्ति भले ही बीएड विभाग में हुई, लेकिन बीए व एमए में इतिहास की कक्षाएं भी लिया करते थे। जिस कक्षा में जो विषय पढ़ाया, कुछ समय बाद उस पर पाठ्य-पुस्तक भी लिख डाला। इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर, एमएड, पीएचडी की डिग्री ली। इनके गुरुजनों में प्रो. रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी, प्रो. हरिवंश राय बच्चन, डा. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, डा. रामकुमार वर्मा, डा. धीरेंद्र वर्मा, डा. धर्मवीर भारती, अर्थशास्त्र के शिक्षक प्रो. जेके मेहता, दर्शनशास्त्र के शिक्षक डा. संगम लाल पांडेय थे।
वर्ष 2015 में बीएड के सेमेस्टर प्रणाली लागू होने के बाद भी हर प्रश्नपत्र की इनकी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दो वर्ष पहले पत्नी के निधन के बाद इनकी तीन पुस्तकें प्रमुख रूप से प्रकाशित हुई, इसमें श्रीमद्भागवत गीता हिदी पद्यानुवाद, श्रीदुर्गा सप्तशती-कथामृत, शिरडी साई कथामृत है। ये मिला है सम्मान
-पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने भारतभूमि महान काव्यकृति का राष्ट्रपति भवन में विमोचन कर डा. शरतेंदु को सम्मानित किया।
-ताल कटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में भारतीय दलित साहित्य अकादमी में डा.भीमराव आंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार व दूसरी बार विशिष्ट सेवा पुरस्कार से अलंकृत हुए।
-जय स्वतंत्र भारत काव्य ग्रंथ का पूर्व राज्यपाल अरूणाचल प्रदेश ने विमोचन के साथ ही उन्हें सम्मानित किया।
-अर्थो अघोरेश्वर भगवान रामचरित काव्य ग्रंथ पर सर्वेश्वरी समूह शाखा ने पुरस्कृत किया।
-उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान ने डा. शरतेंदु की कृति लोक साहित्य की रूपरेखा पर राम नरेश त्रिपाठी नामित पुरस्कार प्रदान किया।