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बरसठी में बनने वाले 88 सामुदायिक शौचालयों में 74 अभी अधूरे

विकास खंड के 88 गांवों में बनाए जाने वाले सामुदायिक शौचालयों में 74 अभी तक अधूरे हैं। वहीं जिनका निर्माण पूर्ण हो गया है उसमें भी अभी तक ताला लटका है। सीडीओ के सख्त निर्देश के बाद भी जिम्मेदारों की उदासीनता व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 06:10 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 06:10 PM (IST)
बरसठी में बनने वाले 88 सामुदायिक शौचालयों में 74 अभी अधूरे
बरसठी में बनने वाले 88 सामुदायिक शौचालयों में 74 अभी अधूरे

जागरण संवाददाता, बरसठी (जौनपुर) : विकास खंड के 88 गांवों में बनाए जाने वाले सामुदायिक शौचालयों में 74 अभी तक अधूरे हैं। वहीं जिनका निर्माण पूर्ण हो गया है उसमें भी अभी तक ताला लटका है। सीडीओ के सख्त निर्देश के बाद भी जिम्मेदारों की उदासीनता व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है।

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हकीकत छिपाने के लिए ब्लाक के अधिकारियों-कर्मचारियों ने आनन-फानन में कमरा बनवाकर ऊपर से रंग-रोगन करा दिया है, लेकिन जरूरी कार्य अब भी अधूरे हैं। चकदोस्त, पठखौली, सरसरा व निगोह समेत अन्य गांवों में निर्माण अधूरा है। सामुदायिक शौचालय के नाम पर मिला बजट भले ही खर्च कर दिया गया हो, लेकिन कार्य अधिकतर गांवों में पूरा नहीं हुआ है। जिन 14 गांवों में निर्माण पूरा हुआ वहां ताले लटक रहे हैं, जिससे गांव के लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। शौचालयों के निर्माण पर तीन से पांच लाख रुपये तक खर्च किया गया है। बावजूद इसके जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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अधूरे सामुदायिक शौचालयों की वजह से तमाम लोगों को खुले में शौच करना पड़ रहा है। इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

-दिनेश कुमार, चकदोस्त।

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अभी तक गांव का सामुदायिक शौचालय शुरू नहीं हुआ है। केवल दीवार बनाकर छोड़ दिया गया है। आधे-अधूरे शौचालयों से ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

-धीरज दुबे, पठखौली।

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सामुदायिक शौचालयों के नाम पर सरकारी धन की बर्बादी की गई है। जब इसका लाभ ही नहीं मिल पा रहा है तो बनवाने से फायदा ही क्या।

-केपी मिश्र, निगोह।

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बोले अधिकारी.. चार स्थानों को छोड़कर सभी जगह सामुदायिक शौचालयों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है। अगर कहीं पर ताले लटके हैं अथवा अधूरे हैं तो जिम्मेदारों पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

-राधेश्याम यादव, एडीओ पंचायत, बरसठी।


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