-50 लाख पौधों को लगाकर संतुलित किया जाएगा पर्यावरण
जागरण संवाददाता जौनपुर निरंतर असंतुलित होते जनपद के पर्यावरण को संतुलित करने के लिए न
जागरण संवाददाता, जौनपुर : निरंतर असंतुलित होते जनपद के पर्यावरण को संतुलित करने के लिए नए वर्ष में कुल 50 लाख सात हजार 369 पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए वन विभाग की तरफ से नर्सरियों में पौधे उगाएं जा रहे हैं। इसमें वन विभाग के अलावा अन्य 26 विभागों को भी पौधारोपण करना है। प्रत्येक वर्ष 300 हेक्टेयर पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। जनपद की कुल सीमा का 2.7 फीसद वन आवरण क्षेत्र करना है। इससे पर्यावरण संतुलन के साथ बिगड़ रही व्यवस्था को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी।
नए वर्ष 2020-21 में पौधे उगाने के लिए 47 नर्सरियों को तैयार किया गया है। इसमें कुल 66 लाख 72 हजार 960 पौधे तैयार किए जा रहे हैं। वर्ष 2021-22 में 21 जुलाई को पौधारोपण किया जाएगा। कुल पौधारोपण का लक्ष्य 50 लाख सात हजार 369 रखा गया है। इसमें वन विभाग को 18 लाख आठ हजार 352 पौधे तो अन्य विभागों को मिलकर 31 लाख 99 हजार 17 पौधों को लगाना है। पौधारोपण के लिए पूर्व में ही गड्ढें खोद लिए जाएंगे। वन विभाग आम, शीशम, अर्जुन, कंजी, नीम, जामुन, सिरस, जंगल, जलेबी समेत तमाम फलदार, फूलदार व शोभादार पौधों को तैयार करने में लगा है। मुख्यमंत्री कृषक वृक्ष धन योजना
से कर रहे लाभांवित
ग्लोबल वार्मिंग का असर कम करने के लिए वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री कृषक वृक्ष धन योजना की शुरुआत की गई। इसके तहत कोई भी किसान ग्रामसभा की खाली भूमि व किसानों के मेड़ों पर वृहद पैमाने पर पौधरोपण का निर्देश दिया है। इससे कृषक को वन विभाग की तरफ से मुफ्त पौधा दिया जाता है, साथ ही मनरेगा के तहत उनको मजदूरी का भी भुगतान किया जाता है। पेड़ों की संख्या बढ़ने से जहां पर्यावरण को महफूज करने में मदद मिलेगी। पेड़ों की संख्या बढ़ने से जहां पर्यावरण को महफूज करने में मदद मिलेगी, वहीं जीवन में जहर घोल रहे प्रदूषण का स्तर भी कम होगा। वहीं इन योजनाओं के माध्यम से शासन की मंशा प्रदूषण की मार को कम करने के साथ ही हरियाली बरकरार रखना हैं।
वर्जन..
शासन के निर्देश के क्रम में जिले की सभी 47 नर्सरियों में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इसके तहत 66 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। आगामी वित्तीय वर्ष में पौधारोपण किया जाएगा। जिससे जिले के ज्यादातर क्षेत्रों को वन संपदा से आच्छादित किया जा सके।
-गिरीश चंद्र त्रिपाठी, प्रभारी डीएफओ।