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2400 गर्भवती की हुई प्रसव पूर्व जांच

हर माह की नौ तारीख को मनाए जाने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस के तहत मंगलवार को जिले में लगभग 2400 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 03:12 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 03:12 PM (IST)
2400 गर्भवती की हुई प्रसव पूर्व जांच
2400 गर्भवती की हुई प्रसव पूर्व जांच

जागरण संवाददाता, जौनपुर: हर माह की नौ तारीख को मनाए जाने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस के तहत मंगलवार को जिले में लगभग 2400 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की गई। अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर राकेश कुमार ने सभी ब्लाकों पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी। आशा कार्यकर्ताओं ने गर्भवती को स्वास्थ्य केंद्रों तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान हर महीने की नौ तारीख को मनाया जाता है।

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अभियान के दौरान चिकित्सक सभी ब्लाक स्तरीय स्वास्थ्य इकाइयों पर गर्भवती के स्वास्थ्य की जांच करते हैं और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी सलाह देते हैं। इस दौरान उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को भी चिह्नित किया जाता है, जिससे उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था कराई जा सके। जिला कार्यक्रम प्रबंधक सत्यव्रत त्रिपाठी ने बताया कि अभियान के तहत जिले के 21 ब्लाकों, जिला अस्पताल तथा शहर के तीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान मुंगराबादशाहपुर केंद्र पर 121, जलालपुर में 101, सुजानगंज में 138 गर्भवती पहुंचीं। इस अभियान का उद्देश्य गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व कम से कम एक बार जांच मेडिकल आफिसर की निगरानी में हो सके। जांच के दौरान विशेषकर लक्ष्य वाली महिलाओं (द्वितीय और तृतीय त्रैमास वाली गर्भवती) को प्राथमिकता दी जाती है। द्वितीय और तृतीय त्रैमास में गर्भवती को प्रसव पूर्व तथा स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का ज्यादा सामना करना पड़ता है। इसके चलते ही इनकी जांच मेडिकल आफिसर (एमबीबीएस या प्रसूति रोग विशेषज्ञ) द्वारा की जाती है। कम से कम एमबीबीएस तो होना ही चाहिए। यह एमबीबीएस मेडिकल आफिसर सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच करते हैं। इस दौरान गर्भवती के ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन, यूरिन, शूगर, सिफलिस, एचआईवी आदि की जांच की जाती है। जांच के दौरान ही उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाएं चिन्हित की जाती हैं और उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था कराई जाती है। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को गंभीर रक्त अल्पता, उच्च रक्तचाप, कम वजन, डायबिटीज, एचआइवी पाजिटिव तथा 35 साल से अधिक की उम्र में गर्भधारण आदि श्रेणियों में पहचान की जाती है।


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