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मजदूरों ने किया काम बंद, नहीं हो रही माल की तुलाई

फोटो संख्या : 17 ओआरआई 26 मजदूरी बढ़ाने की कर रहे मांग संवाद सहयोगी, कोंच : मजदूर

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 11:12 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 11:12 PM (IST)
मजदूरों ने किया काम बंद, नहीं हो रही माल की तुलाई
मजदूरों ने किया काम बंद, नहीं हो रही माल की तुलाई

फोटो संख्या : 17 ओआरआई 26

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मजदूरी बढ़ाने की कर रहे मांग

संवाद सहयोगी, कोंच : मजदूरी बढ़ाए जाने की मांग को लेकर गल्ला मंडी के मजदूरों ने हड़ताल शुरू कर दी है। सोमवार को एक भी मजदूर ने काम नहीं किया। जिसकी वजह से मंडी किसानों का अनाज नहीं खरीदा जा सका।

गौरतलब हो कि एसडीएम गुलाब ¨सह ने बीती 14 सितंबर को गल्ला मंडी में अपनी फसलों की उपज बेचने आने वाले किसानों से मजदूरी के नाम पर की जाने वाली माल से तुलवायी बंद करने के आदेश व्यापारियों को दिए थे। जिसके बाद मजदूरों को किसानों की उपज से मिलने वाली मजदूरी बंद हो गयी। जिससे मजदूरों को मजदूरी करने में लाभ नही हो पा रहा था। मजदूरों ने सोमवार को काम बंद करने का निर्णय ले लिया। सोमवार को एक भी मजदूर पल्लेदार गल्ला मंडी नहीं पहुंचा। मंडी में अपनी उपज बेचने आये किसान मजदूर न होने के कारण अपना माल ट्रैक्टर ट्राली से नहीं उतार पाये। व्यापारियों की दुकानों पर किसानों का माल ट्राली पर ही लदा पड़ा रहा। मजदूरों की मांग थी कि उन्हें प्रति बोरा तगने के लिए 10 रुपये की मजदूरी दी जाए। मजदूर यह भी कह रहे थे कि जो मजदूरी मजदूरों को जालौन और उरई की मंडी में मिलती है वह मजदूरी यहां भी निर्धारित की जाए। हालांकि व्यापारियों ने मजदूरों से दो रुपये प्रति बोरा तगाई का देने की बात कहकर मजदूरों को मनाने की कोशिश की लेकिन मजदूर 10 रुपये देने की मांग पर ही अड़े रहे। वर्तमान में मजदूरों को 12 रुपये छनाई बिनाई का मिला करता है तगाई के समय मजदूरों को किसान के माल से ही ढाई ढाई सौ ग्राम यानी 5 सौ ग्राम 6 बोरों पर तुलवायी का नाम लेकर दे दिया जाता था। यानी जितनी भी मजदूरी मजदूरों को दी जाती थी वह किसान के ही माल से अदा की जाती थी। एसडीएम ने 5 सौ ग्राम की तुलवायी को बंद कर दिया जिसके बाद उक्त समस्या गल्ला मंडी में खड़ी हो गयी। इस संबंध में मंडी सचिव डा. दिलीप कुमार वर्मा ने कहा कि शासन की ओर से मजदूरों को दो तरह से मजदूरी अदा की जाती है। किसान के माल को टैक्टर से उतारने उसको छाने ढेर लगाने का पैसा किसान को ही देना पड़ता है। इसके लिए शासन ने 9 रुपये प्रति ¨क्वल का रेट निर्धारित किया है। दूसरी मजदूरी जिसमे बोरों की तगाई माल का लो¨डग अनलो¨डग जिसे पल्लेदारी का नाम दिया गया है वह 12 रुपया है जो व्यापारी को दिया जाना है। मंडी में जो समस्या मजदूरी को लेकर उतपन्न हुई है उसका समाधान मजदूरों और व्यापारियों को बैठा कर जल्द कर दिया जाएगा।


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