चाक पर रखी हुई मिट्टी को क्या मालूम..
संवाद सहयोगी, कालपी : चाक पर रखी हुई मिट्टी को क्या मालूम है, कौन से मजहब के हाथों का दि
संवाद सहयोगी, कालपी : चाक पर रखी हुई मिट्टी को क्या मालूम है, कौन से मजहब के हाथों का दिया बन जायेगी- यह रचना अखिल भारतीय साहित्य संस्थान के अध्यक्ष कवि सत्य चंदन जयपुर ने विश्वकर्मा जयंती की पूर्व संध्या पर हिन्दी भवन के परिसर में आयोजित ¨हदी पखवाड़ा व कवि सम्मेलन में पढ़ी तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा।
हिन्दी भवन संस्था द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में निधि सिन्हा निधि कालपी ने एक शिव¨लग कम काशी भी यहीं है और कहते हैं लोग की मदीना भी है कालपी.. सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। लक्ष्मीशंकर वाजपेयी नई दिल्ली ने हमारी हर कहानी में तुम्हारा नाम आता है, किसी को कैसे समझायें कि तुमसे कैसा नाता है सुनाया। सत्य चंदन जयपुर ने मुहब्बत के हवाले छोड़ जाऊंगा, तुम्हारी मस्जिद अपने शिवाले छोड़ जाऊंगा, अंधेरे नफरतों के जी न पाएंगे कभी सुख से, मैं बुझकर भी यहां इतने उजाले छोड़ जाऊंगा सुनाकर सामजिक भाईचारे का संदेश दिया। इसके साथ ही आसिफ शमसी सहारनपुर, शीतल वाजपेयी कानपुर, मनोज अबोध दिल्ली ने भी अपनी रचनाएं सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक सुरेंद्रनाथ तिवारी ने एसडीएम सुनील शुक्ला व सीओ सुबोध गौतम व संस्था की प्रधानमंत्री ममता विद्यार्थी व पूर्व विधायक डा. अरूण मेहरोत्रा के साथ दीप प्रज्जवलित कर हिन्दी पखवाड़ा व कवि सम्मेलन का आगाज किया। इस दौरान सर्वेश विद्यार्थी, डा. सीमा मेहरोत्रा, एम ¨सह समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।