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पानी बिन सूखे पड़े खेत, अनुदान के बीज गोदामों में कैद

फोटो संख्या : 23 ओआरआई 13, 14 - मानसून दे गया दगा, बीज भंडार तक नहीं पहुंच रहे लोग -

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 04:53 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 04:53 PM (IST)
पानी बिन सूखे पड़े खेत, अनुदान के बीज गोदामों में कैद

फोटो संख्या : 23 ओआरआई 13, 14

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- मानसून दे गया दगा, बीज भंडार तक नहीं पहुंच रहे लोग

- 60 से 80 फीसद तक है अनुदान, कहां करें बोआई संवाद सूत्र, महेबा : किसानों को सस्ता बीज दिलाने के लिए सरकार ने 60 से 80 फीसदी तक अनुदान तय कर दिया था लेकिन मानसून के दगा दे जाने से अन्नदाताओं को इसका लाभ नहीं मिला। बिन बारिश खेत सूखे पड़े हैं और किसानों को प्रमाणित बीजों का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। अगर किसानों के खेतों को पर्याप्त पानी मिल जाता तो बुंदेलखंड के किसानों को इस वर्ष बीज में अनुदान मिलने के साथ ही पैदावार में भी इजाफा होने की उम्मीद थी। सूखे खेतों की वजह से बीज भंडारों पर किसान दिखाई नहीं दे रहे हैं।

किसानों की भलाई के लिए सरकार द्वारा भले ही लाख प्रयास किए जा रहे हों लेकिन जब तक कुदरत उनका साथ नहीं देगी तब तक बुंदेलखंड के किसानों का भला होने वाला नहीं है। खरीफ की फसल में बारिश की आस में बैठे किसान मोह भंग कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि जब खेत ही सूखे पड़े हैं तो सरकार द्वारा 80 फीसद छूट पर दिया जाने वाला बीज आखिर कहां बोएं। अगर समय से बारिश हो जाती तो इस वर्ष गरीब से गरीब किसान उर्द, मूंग, अरहर तथा तिल की बोआई करके लाभ कमा सकते थे। हर किसान इस वर्ष इस फिराक में था कि अगर माकूल बारिश हो गई तो प्रमाणित बीज क्रय करके और कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बोआई की विधि अपनाकर बीज की बोआई करेंगे। बारिश न होने की वजह से किसानों की उम्मीद धरी की धरी रह गई। बोले किसान, सूखे जैसे हो गए हालात

महेबा, मंगरौल, गोरा कला, मुसमरिया, सिकरी रहमानपुर आदि गांवों के किसानों ने बताया कि इस वर्ष सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है। अभी तक आधे से ज्यादा खेत बगैर जोताई बकराई के खाली पड़े हैं। जहां बीज बोया भी गया था वह बीज या तो अंकुरित नहीं हुआ या अंकुरित होने के बाद पानी न मिलने की वजह से धूप के कारण सूख चुका है। धरी रह गई तकनीकी विधियां

किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार ने पूरे साल किसानों के लिए प्रशिक्षण चलाया। बीच-बीच में उन्हें कृषि विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी जानकारी दी गई जिसमें मृदा परीक्षण बीज शोधन कीटनाशक दवाओं का उपयोग तथा उनके बचाव व प्रमाणित बीजों के पैदावार के संबंध में किसानों को बताया गया। इससे इतर बारिश न होने की वजह से बुंदेलखंड की धरती सूखी पड़ी है। इस धरती को देखकर किसान की आंखें तिलमिला उठती हैं क्योंकि इस समय जिन खेतों में हरियाली होना चाहिए उनमें धूल उड़ रही है। बारिश न होने की वजह से कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को बताई गई सारी तकनीकी विधियां धरी की धरी रह गईं। बीज गोदामों पर सन्नाटा

खेतों में नमी न होने की वजह से कोई भी किसान बीज गोदामों की ओर नहीं जा रहा है। बीज गोदाम पर देखा जाए तो इस समय किसानों की भीड़ जुटी रहती थी। आज यह स्थिति है कि जब 80 प्रतिशत अनुदान पर बीज मिल रहा है तो भी गोदामों पर सन्नाटा छाया है नहीं तो बीज के लिए किसानों को लाइन लगानी पड़ती थी। उर्दू में 60, मूंग, अरहर तहसील में 80 फीसदी अनुदान है जिसका किसान लाभ ले सकते हैं। अभी भी अगर बारिश हो जाए तो जुलाई के अंतिम सप्ताह तक बोआई हो सकती है कुछ ¨जस अगस्त के प्रथम सप्ताह में भी बोए जा सकते हैं।

अखिलेश कुमार, तकनीकी सहायक


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