'तीन तलाक' के खिलाफ लड़ाई में चारों ओर संघर्ष
भारी मात्रा में लहन नष्ट किया गयां छापा मारकर
सीन-एक
उरई कोतवाली में पहला मुकदमा
जिले में तीन तलाक कानून के तहत सबसे पहला मुकदमा उरई कोतवाली में 25 अगस्त 2019 को दर्ज हुआ था। मोहल्ला पाठकपुरा निवासी नाजरीन बेगम के मकान बेचने का विरोध करने पर पति बन्ने ने उसके साथ मारपीट की और तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया था। नाजरीन की तहरीर पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोप पत्र दाखिल किया है।
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फोन पर ही दे दिया तीन तलाक
कालपी कोतवाली अंतर्गत मुमताजाबाद निवासी मुबीना की कहानी भी हैरान करने वाली है। उनकी शादी छह मार्च 2016 को गुलौली निवासी जुनून खां के साथ हुई थी। बाद में दहेज के लिए पति ने परेशान किया और फोन पर तीन तलाक दे दिया। इसमें पुलिस ने 21 दिसंबर 2019 को मुकदमा दर्ज किया था।
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-जिले में एक साल में तीन तलाक के 45 मुकदमे हुए दर्ज
-आरोप पत्र दाखिल होने के बाद भी न्यायालय से इंसाफ की उम्मीद
जागरण संवाददाता, उरई : तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को एक साल पहले बने मुस्लिम महिला विवाह संरक्षण अधिनियम ने पीड़िताओं में इंसाफ की आस जगाई थी, लेकिन अभी भी चारों ओर संघर्ष करना पड़ रहा है। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए जिले के विभिन्न थानों में पिछले साल 45 मुकदमे दर्ज कर सभी में आरोपितों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिए, लेकिन फैसला आने को लेकर महिलाएं चक्कर लगाने को मजबूर हैं। प्रतिदिन नए मामले भी आ रहे हैं। पीड़ित महिलाएं कहती हैं, अभी और तत्परता व पारदर्शिता की जरूरत है।
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बोले लोग
तीन तलाक कानून बनने के बाद इससे पीड़ित महिलाओं को न्याय की आस जगी थी। उनके बूढ़े माता-पिता को भी बेटी के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ाई का मजबूत आधार मिला, लेकिन अभी इसे और सख्त व प्रभावी बनाने की जरूरत है।
-यूसुफ अंसारी, बजरिया तीन तलाक पहले भी किसी नजरिए से ठीक नहीं था। कानून बनने के बाद महिलाओं को अन्याय के खिलाफ लड़ने का हौसला मिला है, लेकिन त्वरित फैसले भी आने चाहिए।
-शफीकुर्रहमान, बजरिया इनका कहना है
तीन तलाक से जुड़े मामले को संवेदनशीलता से लेकर तत्काल कार्रवाई का निर्देश थानाध्यक्षों को दिया है। पीड़िता को राहत दिलाना प्राथमिकता है।
-यशवीर सिंह, एसपी।