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एंटीजन जांच के अभाव में गंभीर मरीज परेशान

जागरण संवाददाता उरई जिला जालौन में अब कोरोना के 1415 एक्टिव केस हो चुके हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है वहीं संदिग्ध मरीजों की संख्या भी कम नहीं। ऐसे तमाम मरीज भर्ती होने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिनसे एंटीजन टेस्ट मांगा जा रहा है। ऐसा न होने पर आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल लिया जाता है। तब तक कई संदिग्ध मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 06:39 PM (IST)
एंटीजन जांच के अभाव में गंभीर मरीज परेशान
एंटीजन जांच के अभाव में गंभीर मरीज परेशान

जागरण संवाददाता, उरई : जिला जालौन में अब कोरोना के 1415 एक्टिव केस हो चुके हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं संदिग्ध मरीजों की संख्या भी कम नहीं। ऐसे तमाम मरीज भर्ती होने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिनसे एंटीजन टेस्ट मांगा जा रहा है। ऐसा न होने पर आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल लिया जाता है। तब तक कई संदिग्ध मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।

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जिला अस्पताल व राजकीय मेडिकल कॉलेज की ओपीडी वैसे ही बंद है। जिससे मरीज को खासा परेशान होना पड़ रहा है। कोरोना के चक्कर में गंभीर मरीज पूरा इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। मरीज जब अस्पताल जाते हैं तो उनसे एंटीजन जांच की रिपोर्ट मांगी जाती है। वह दिखा नहीं पाते है। वहीं पीसीआर की रिपोर्ट तीन से चार दिन में मिल पा रही है। जिससे मरीजों को खासा परेशान होना पड़ रहा है। रिपोर्ट के इंतजार में मरीज अपना इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। फिर भी इस समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। रोजाना अस्पताल में 500 से अधिक गंभीर लोग एंटीजन जांच की मांग करते हैं, ताकि इलाज शुरू हो सके, मगर अस्पताल में इसकी व्यवस्था ही नहीं। सिर्फ जिला अस्पताल में 25 एंटीजन जांच रोजाना हो पा रही हैं। संदिग्ध मरीजों के साथ हो रही लापरवाही

निजी चिकित्सकों के यहां इलाज करा रहे संदिग्ध मरीजों को सैंपल कलेक्शन सेंटर पर भेज दिया जाता है। ऐसे तमाम मरीज जांच व उपचार के लिए अस्पताल में पहुंचते हैं। आरटीपीसीआर जांच के लिए पहले फार्म भरना पड़ता है। उसके बाद सैंपल होता है, जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में आती है। ऐसे सभी मरीज अस्पताल के आइसोलेशन रूम में भर्ती होकर इलाज कराना चाहते हैं। कई मरीजों को विशेषज्ञों की कमी के चलते भर्ती ही नहीं किया जाता। कुछ को रिपोर्ट आने तक होम आइसोलेट रहने की सलाह दी जाती है। मरीजों की रिपोर्ट न मिलने के कारण उनकी तीन दिन तक इलाज तक नहीं हो पाता।


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