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दोहरीकरण के दौरान आए दिन टूट रहे रेलवे क्रासिग गेट

जागरण संवाददाता उरई तीन केस यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि दोहरीकरण के दौरान कैसे बिना मानक के इलेक्ट्रिक बूम को ट्रैक से सटाकर बना दिया गया और आए दिन गेट टूट रहे हैं। इस कारण घंटों तक रेलवे की प्रबंधन व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित रहती है। दो माह में ही जोल्हूपुर और रिनिया रेलवे क्रॉसिग से ही 19 मामले सामने आ चुके हैं। गेट टूटने की वजह से अब तक 20 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। इस कमी के कारण यात्री अपने गंतव्य तक समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 07:16 PM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 07:16 PM (IST)
दोहरीकरण के दौरान आए दिन टूट रहे रेलवे क्रासिग गेट
दोहरीकरण के दौरान आए दिन टूट रहे रेलवे क्रासिग गेट

केस एक :

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जोल्हूपुर गेट नंबर 194 पर सुबह आठ बजकर 30 मिनट पर एक डंफर ने टक्कर मार दी, जिससे बूम क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बाद इंजीनियरिग विभाग नौ बजे से लेकर 11 बजकर 20 मिनट तक मरम्मत का कार्य करती रही। जिसकी वजह से राहगीरों को जाम का सामना करना पड़ रहा है। केस दो :

18 मार्च को रिनिया रेलवे क्रॉसिग के गेट नंबर 179 पर डंफर ने टक्कर मार कर गेट तोड़ दिया इसके बाद गेट मैन ने सूचना स्टेशन अधीक्षक को दी। कई घंटे गेट का दुरुस्त कराने में लगा। मौके पर आरपीएफ ने डंफर चालक को थाने लाकर कार्रवाई की। केस तीन :

दोहरीकरण के दौरान बरती अनियमितिता से आए दिन रेलवे क्रॉसिग जोल्हूपुर गेट नंबर 194 टूटता रहता है। तीन बार से अधिक यह गेट वाहन चालकों की लापरवाही के कारण टूट चुका है। आरपीएफ ने मुकदमा दर्ज कर खानापूरी कर दी। घटनाएं अभी भी रुक नहीं रहीं हैं। जागरण संवाददाता, उरई : तीन केस यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि दोहरीकरण के दौरान कैसे बिना मानक के इलेक्ट्रिक बूम को ट्रैक से सटाकर बना दिया गया और आए दिन गेट टूट रहे हैं। इस कारण घंटों तक रेलवे की प्रबंधन व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित रहती है। दो माह में ही जोल्हूपुर और रिनिया रेलवे क्रॉसिग से ही 19 मामले सामने आ चुके हैं। गेट टूटने की वजह से अब तक 20 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। इस कमी के कारण यात्री अपने गंतव्य तक समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं।

झांसी-कानपुर रेलखंड पर जब भी गेट टूटते हैं तो राहगीरों को जाम का सामना भी करना पड़ता है। 17 मार्च को सीआरएस (मुख्य संरक्षा आयुक्त) का दौरा भी हुआ था । फिर भी इन मानकों को दरकिनार कर दिया गया। जिसका खामियाजा बिना मतलब के चालकों को भुगतना पड़ रहा है। हकीकत यह है कि ट्रक और डंपर का घुमाव के लिए पर्याप्त जगह ही नहीं है। इस कारण आए दिन गेट टूट जाते हैं। रेलवे जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ हवा-हवाई निरीक्षण कर पल्ला झाड़ चुके हैं। दो माह में जोल्हूपुर में आठ, रिनिया में 11 बार गेट टूटने के मामले देखने को मिले हैं। कोट

रेलवे क्रॉसिग की इस समस्या का निवारण हो सके, इसके लिए उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत करा दिया जाएगा। जिससे जल्द से जल्द कमी दूर हो सके।

मनोज सिंह, जन संपर्क अधिकारी रेलवे


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