फिजूलखर्ची वाली शादी में निकाह नहीं पढ़ेंगे काजी
संवाद सहयोगी जालौन शादियों में फिजूलखर्ची को रोकने और डीजे बैंड आदि पर रोक लगाने के लिए बड़ी सुन्नी जामा मस्जिद में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें तय हुआ कि शादी में फिजूलखर्ची दहेज आतिशबाजी बैंड और नाच गाना होगा वहां उलमा ए किराम शामिल नहीं होंगे और न ही काजी निकाह पढ़ाएगा।
संवाद सहयोगी, जालौन :शादियों में फिजूलखर्ची को रोकने और डीजे, बैंड आदि पर रोक लगाने के लिए बड़ी सुन्नी जामा मस्जिद में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें तय हुआ कि शादी में फिजूलखर्ची, दहेज, आतिशबाजी, बैंड और नाच गाना होगा वहां उलमा ए किराम शामिल नहीं होंगे और न ही काजी निकाह पढ़ाएगा।
बड़ी सुन्नी जामा मस्जिद में शहर काजी मौलाना साबिर की अध्यक्षता में शादी की रस्मों को तय करने को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें शहर पेश इमाम मौलाना मुजाहिदुल हक चिश्ती ने कहा कि आजकल शादियों में फिजूलखर्ची फैशन बन गई है। लड़की का बाप कर्ज लेकर शादी तो कर देता है फिर उस कर्ज को चुकाने के लिए घर और खेत बेचने तक कि नौबत आ जाती है। दूसरी ओर शादियों में डीजे और बैंड के अलावा नाच गाने होते हैं। यह इस्लाम के उसूलों के खिलाफ है। लड़के वाले दहेज की मांग करते हुए यह भी नहीं देखते हैं कि लड़की का आप उनकी दहेज की मांग को पूरा कर सकेगा या नहीं। इसलिए अब समय आ गया है कि इन गैर शरई रस्मों से दूरी बनाई जाए और निकाह को हजरत मुहम्मद साहब की सुन्नत को मानते हुए उसे सादगी के साथ संपन्न कराया जाए। बैठक में इस तरह की फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की संकल्प लिया और जो इस तरह का खर्च करेगा उसका निकाह नहीं पढ़ा जाएगा। इस मौके पर हाफिज शाकिर, हाफिज साबिर, हाफिज रफीक, हाफिज मुनव्वर हक, अहमद रजा बरकाती, अब्दुल कय्यूम, असलम वकील, खलील खान, इरफान पठान आदि मौजूद रहे।