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जर्जर फीडरों से बाधित रहती विद्युत आपूर्ति, हाथ से बंद होतीं मशीनें

संवाद सूत्र, महेबा : बाबई विद्युत उपकेंद्र से ग्रामीणों को विद्युत की लगातार आपूर्ति नहीं मिल पा र

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 10:47 PM (IST)
जर्जर फीडरों से बाधित रहती विद्युत आपूर्ति, हाथ से बंद होतीं मशीनें
जर्जर फीडरों से बाधित रहती विद्युत आपूर्ति, हाथ से बंद होतीं मशीनें

संवाद सूत्र, महेबा : बाबई विद्युत उपकेंद्र से ग्रामीणों को विद्युत की लगातार आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। जिसमें चुर्खी तथा बाबई फीडर पूरी तरह से जर्जर हैं। फाल्ट होने पर इनकी मशीनें हाथ से बंद करनी पड़ती हैं। जरा सा भी फाल्ट आ जाने पर घंटों आपूर्ति बंद हो जाती है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति दुरुस्त रखने के लिए बाबई में 33 केवीए का विद्युत उपकेंद्र स्थापित है। जिससे 6 फीडरों के माध्यम से 26 गांव के साथ 258 नलकूपों को विद्युत आपूर्ति दी जा रही है। बाबई तथा चुर्खी के ग्रामीणों ने बताया कि इन दोनों फीडरों में दिन में कई बार फाल्ट होता है और जिसकी लाइनें ऑटोमैटिक तरीके से बंद नहीं होती हैं। फाल्ट होने पर लाइनमैन के द्वारा मशीनें बंद की जाती हैं। इसके बाद पूरी लाइन में फाल्ट खोजने में समय लग जाता है।

दो से तीन घंटे में चेक हो पाती छह किमी की लाइन

बाबई से चुर्खी की दूरी 6 किमी है। 6 किमी लंबी लाइन को चेक करने में 2 से 3 घंटे तक का समय लग जाता है। फाल्ट मिल जाने के बाद ही लाइन चालू होती है। चुर्खी फीडर से 6 गांव व 70 नलकूप संबद्ध हैं। आपूर्ति बाधित होने पर सभी गांव के साथ नलकूपों की भी आपूर्ति ठप हो जाती है। इसी तरह बाबई फीडर से 3 गांव 55 नलकूप व अटरा कला फीडर से 4 गांव तथा 62 नलकूप, नगरा फीडर से 10 गांव एवं 56 नलकूप, दहगवां से 3 गांव व 15 नलकूप संबद्ध हैं।

लोड बढ़ते ही दे जाते दगा

एक साथ लोड बढ़ने की वजह से कोई न फीडर ठप हो जाता है, जिससे आपूर्ति बाधित हो जाती है। फीडर जर्जर होने की वजह से जब भी फाल्ट होता है सप्लाई चालू रहने के कारण तार टूट कर जमीन में गिर जाते हैं और उनसे कई बार हादसे हो चुके हैं।

महज दस घंटे ही मिलती बिजली

इससे 24 घंटे में बामुश्किल 10 घंटे विद्युत आपूर्ति मिल पाती है। इसके अलावा यह सुनिश्चित नहीं रहता है कि सप्लाई कब तक चलती रहेगी। आपूर्ति बाधित रहने की वजह से गांव में लगे पेयजल नलकूप भी ठप हो जाते हैं। तब बिजली के साथ पानी की भी समस्या पैदा हो जाती है। बोले जिम्मेदार

इस संबंध में विद्युत विभाग के अवर अभियंता आलोक खरे ने बताया कि सन 2011 से जर्जर मशीनों को बदला नहीं गया है। जिनका इस्टीमेट बनाकर भेज दिया गया है। धन आवंटन होते ही जर्जर मशीनों को बदल दिया जाएगा।


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