सर्दी में नाक, कान व गले की समस्या पर दें ध्यान
जागरण संवाददाता उरई सभी जानते हैं सर्दियों के साथ-साथ हमारे नाक कान व गले की समस्या भी
जागरण संवाददाता, उरई : सभी जानते हैं सर्दियों के साथ-साथ हमारे नाक, कान व गले की समस्या भी बढ़ने लगती है। खासकर बच्चों को और बूढ़े लोगों को और अधिक समस्या आती है, इसीलिए इन्हें ज्यादा सावधान होने की जरूरत होती है। राजकीय मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ डा. एसके राठौर ने बचाव को लेकर कई तरह की जानकारियां साझा कीं।
डा. राठौर ने कहा कि सर्दियों में सावधानियां न बरती जाएं तो अधिक समस्या आ जाती है। कई लोग बचाव के लिए कान में तेल डालते हैं जो की नहीं डालना चाहिए क्योंकि वाष्पीकरण न होने से फफूंदी लग सकती है। वहीं जिनके कान बहते हैं, उनको कान में पानी जाने से बचाना चाहिए, नहाते समय कान में रुई लगा कर रखना चाहिए। बाद में साफ तौलिए से अच्छी तरह से साफ कर सुखाने के बाद ही रुई निकालना चाहिए। कान में रंगीन दवाई कभी नहीं डालनी चाहिए। इससे निरीक्षण व निदान में कठिनाई आती है। इस तरह की कई बार मरीज समस्या लेकर आ रहे है, जिससे बाद में अधिक परेशानी उठानी पड़ जाती है। छोटे बच्चे को लेट कर दूध नहीं पिलाना चाहिए, उसका सिर ऊंचा रखना चाहिए ताकि दूध कान में प्रवेश न कर सके। इसके मरीज को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। छोटे बच्चों को मुंह पर न चूमें, इससे वायरल इंफेक्शन का डर बना रहता है। बहने वाले कान साफ रखें एवं सूखा रखना चाहिए। इससे समस्या कम आती है। गला खराब होने पर अथवा नजला जुकाम होने पर अवश्य इलाज करवाना चाहिए। नजला जुकाम होने की अवस्था में तैराकी व वायु यात्रा से परहेज करना बहुत जरूरी होता है। कान में हाइड्रोजन पर आक्साइड नहीं डालना चाहिए, इससे कान का पर्दा जल सकता।
सर्दी के मौसम में खाने का यह करें परहेज :
बर्फ की ठंडी चीजें, तली हुई चीजें, दही, छाछ, खटाई का इस्तेमाल कम मात्रा में करें एवं धूमपान तो बिल्कुल न करें। इससे लोगों को अधिक परेशानी का सामना कर पड़ सकता है। इसके मद्देनजर लोगों को सुझाव दिए जा रहे है, जिससे जिले के लोगों मरीज होने से बचाया जा सके।