बगैर विशेषज्ञ चल रही विधि विज्ञान प्रयोगशाला
संगीन अपराधों के अनावरण में वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित
जागरण संवाददाता, उरई : संगीन अपराधों के अनावरण में वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित कर कोर्ट में मजबूत चार्जशीट दाखिल कर अपराधियों को सजा दिलाई जा सके। इसके लिए जिला स्तर पर स्थापित फील्ड यूनिट को उच्चीकृत कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला में तब्दील किया गया, लेकिन प्रयोगशाला में चार साल से एक भी विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने से उसका सार्थक परिणाम सामने नहीं आ सका है। प्रयोगशाला तीन सिपाहियों के भरोसे चल रही है।
जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों के गिरफ्तार होने के बाद उनके खिलाफ यदि वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्रित हैं, तो उसे अपराध लेकर सजा दिलाना आसान हो जाता है। यही नहीं ब्लाइंड मर्डर, हत्या, लूट, डकैती, चोरी जैसे अपराधों के अनावरण में फील्ड यूनिट का अनुसंधान सहायक साबित हो सकता है।
वैसे तो विधि विज्ञान प्रयोगशाला में एक वैज्ञानिक, एक सहायक वैज्ञानिक एवं फोरंसिक अनुसंधान का प्रशिक्षण प्राप्त सिपाहियों की तैनाती होना आवश्यक है। हत्या, चोरी व डकैती एवं अज्ञात शव बरामद होने के प्रकरणों में सबसे पहले फील्ड यूनिट की टीम को मौके पर पहुंचने का आदेश है, ताकि घटनास्थल को कवर कर वहां की फोटोग्राफ फिगर व फुट प्रिट लिए जा सके।
अपराधों के अनावरण में अहम भूमिका होने के बावजूद जिले में फील्ट यूनिट में संसाधन ही नहीं स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है। वैज्ञानिक से लेकर सहायक वैज्ञानिक के सभी पद खाली पड़े हैं। प्रयोगशाला केवल तीन सिपाहियों के भरोसे चल रही है।
अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अवधेश सिंह का कहना है कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में प्रशिक्षण प्राप्त सिपाहियों की तैनाती है। नमूने परीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजे जाते हैं।
विधि विज्ञान प्रयोगशाला कर्मियों की स्थिति
वैज्ञानिक -- पद रिक्त
सहायक वैज्ञानिक - पद रिक्त
लैब सहायक - एक नियुक्त
प्रशिक्षित सिपाही - तीन
मोबाइल प्रयोगशाला - एक
वाहन - एक