मिडडे मील रसोइयों को दो माह से मानदेय का इंतजार
सख्ती के साथ कंटेनमेंट एरिया में बंद कराई गई दुक
जागरण संवाददाता, उरई : कोरोना संकट काल में किसी को परेशानी नहीं हो, केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार इसके लिए तमाम घोषणाएं कर चुकी है। धरातल पर पालन भी कराया जा रहा है। हर प्रवासी को रोजगार और खाद्यान्न वितरण के निर्देश हैं। गैर प्रांतों व शहरों से लौटे प्रवासियों के भरणपोषण के लिए हर चिता करने वाली सरकार और प्रशासन घर के ही लोगों से नजरें घुमा बैठी। स्कूलों में मिडडे मील बनाकर बच्चों का पेट भरने वाले रसोइयां खुद घर के ठंडे पड़ रहे चूल्हों को लेकर परेशान हैं। दो माह से मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक संकट से जूझ रही हैं।
लॉकडाउन के दौरान सभी कुछ बंद रहने की वजह से हर किसी पर प्रभाव पड़ा है। मिडडे मील पकाने वाली रसोइयां भी इससे अछूती नहीं हैं। इस दौरान उनको दो माह से मानदेय ही नहीं दिया गया है। जबकि समय से इनको मानदेय मिल जाना चाहिए था ताकि वे भी अपनी गृहस्थी का संचालन कर पातीं। जनपद में सहायता प्राप्त मिलाकर 1264 प्राथमिक व 661 जूनियर स्कूल हैं। इनमें अध्ययनरत बच्चों को दोपहर का भोजन बनाने के लिए 3928 रसोइयां रखी गई हैं। लॉकडाउन के दौरान सरकारी कर्मचारियों को वेतन व अन्य लोगों को किसी न किसी तरह से सहायता पहुंचाई गई मगर इन रसोइयों की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि अप्रैल और मई माह का मानदेय अब तक इनको नहीं मिल सका है। रसोइयां इंतजार में है कि कब मानदेय आए और उनका काम चले। इसी आस में 3928 रसोइयां बाट जोह रही हैं। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि एक सप्ताह के अंदर मानदेय आ जाएगा। जिसको तुरंत खाते में देने की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल रसोइयों के पास इंतजार के अलावा कोई चारा नहीं है। जिले में स्कूलों की संख्या एडेड सहित
1264 प्राथमिक
661 जूनियर रसोइयों को दिया जाने वाला अनुमानित भुगतान
1 करोड़ 17 लाख 84 हजार रुपये, प्रति रसोइया 1500 के हिसाब से रसोइया की पीड़ा
मानदेय समय से न मिलने की वजह से काफी दिक्कत है। अब इंतजार कर रहे हैं कि दो महीने का मानदेय मिल जाए तो जिससे ले देकर काम चलाया है उसको पैसा लौटा दें।
गिरजा देवी रसोइया जूनियर हाईस्कूल टीहर
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी प्रेमचंद्र यादव का कहना है कि उम्मीद है कि इस सप्ताह मानदेय प्राप्त हो जाएगा। इसके लिए पहले ही डिमांड भेजी जा चुकी है।