12 ंवर्ष पूर्व रोपित तुलसी का विधि-विधान से विवाह
- देवोत्थानी एकादशी पर शालिग्राम-तुलसी विवाह का जीवंत नजारा - मथुरा से आए पंडित, मध्य प्रदेश के
- देवोत्थानी एकादशी पर शालिग्राम-तुलसी विवाह का जीवंत नजारा
- मथुरा से आए पंडित, मध्य प्रदेश के कई जिलों के श्रद्धालु भी बने साक्षी
संवाद सहयोगी, महेबा (उरई) : देवोत्थानी एकादशी का शुभ मुहूर्त, ओरछा से शालिग्राम की बरात आई। पूरे गांव में बरात घुमाई गई, खूब नाच-गाना हुआ। धार्मिक रीति-रिवाज के साथ रस्में पूरी की गई। तुलसी के हाथ पीले कर मथुरा से आए पंडित ने फेरे कराए। दान भी दिया गया। विदाई का वक्त आया तो सबकी आंखें छलछला उठीं। इस अनोखी शादी को देखने के लिए आसपास के गांव के अलावा मध्य प्रदेश के कई जिलों के श्रद्धालु आए थे।
ग्राम दमरास में शालिग्राम-तुलसी विवाह का जीवंत नजारा हर किसी को लुभा गया। हुआ यूं कि यहां के विशेश्वर दयाल गुप्ता और उनकी पत्नी सत्यवती ने 12 वर्ष पहले अपने आंगन में तुलसी का पौधा रोपित किया था। तबसे पूरा परिवार बेटी की तरह तुलसी की देखभाल कर रहा है। विशेश्वर दयाल ने बताया कि जब तुलसी 12 वर्ष की हो गई तो उन्हें शादी की ¨चता सताने लगी। उन्होंने मध्यप्रदेश ओरछा के कनक भवन रामराजा दरबार में संपर्क किया तो भगवान शालिग्राम से बेटी स्वरूपा तुलसी की शादी तय हो गई। देवोत्थानी एकादशी के शुभ मुहूर्त को विवाह तय हुआ।
सोमवार को देवोत्थानी एकादशी पर रामराजा दरबार कनक भवन ओरछा से महंत अनिरुद्ध दास भगवान शालिग्राम की बरात लेकर आए। पूरे गांव में बरात घुमाई गई, इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर दूल्हा बने भगवान शालिग्राम का स्वागत किया। डीजे व बैंड-बाजों की धुन पर महिलाएं व पुरुष जमकर नाचे। इसके बाद दंपती ने तुलसी के हाथ पीले कर कन्यादान किया। मथुरा से आए पं. अनुरोध कुमार ने फेरे कराए। विदाई के समय दंपती के नेत्र आंसुओं से भीग गए। तुलसी को ढाई लाख रुपये के साथ जेवरात व बर्तन भी दान स्वरूप दिए गए। भगवान शालिग्राम को सोने की अंगूठी व चेन दी गई।
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विवाह में उमड़ी भीड़, चखा प्रसाद
तुलसी व भगवान शालिग्राम के विवाह में आसपास के एक दर्जन से अधिक गांव के श्रद्धालुओं के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कई जनपदों के श्रद्धालु मौजूद रहे। सभी ने भगवान के विवाह में शामिल होकर भंडारे का प्रसाद भी चखा। मान्यता है कि जिस आंगन में तुलसी का पेड़ होता है वह आंगन पवित्र हो जाता है। उस घर में रोग विकार नहीं आते हैं।