Move to Jagran APP

स्टाफ के साथ दवाओं का टोटा, कैसे हो पशुओं का इलाज

संवाद सहयोगी जालौन पशुओं की बीमारियों को दूर करने के लिए क्षेत्र पंचायत कार्यालय परिसर

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 05:01 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 05:01 PM (IST)
स्टाफ के साथ दवाओं का टोटा, कैसे हो पशुओं का इलाज
स्टाफ के साथ दवाओं का टोटा, कैसे हो पशुओं का इलाज

संवाद सहयोगी, जालौन : पशुओं की बीमारियों को दूर करने के लिए क्षेत्र पंचायत कार्यालय परिसर में राजकीय पशु चिकित्सालय संचालित हो रहा है। कितु आज कल यह स्वयं बीमार है। चिकित्सालय में दवाएं न होने के कारण इसका लाभ पशु पालकों को नहीं मिल पा रहा है।

loksabha election banner

राजकीय पशु चिकित्सालय को स्थापित हुए चार दशक होने को है। चार दशकों में शायद ही कभी वक्त ऐसा आया हो जब चिकित्सालय की हालत इतनी खराब हुई हो। चिकित्सालय में एक तरफ स्टाफ की कमी है तो दूसरी तरफ दवाओं का अभाव है। चिकित्सालय में पशुधन प्रसार अधिकारी, फार्मासिस्ट, ड्रेसर तथा चौकीदार का पद रिक्त पड़ा है जिसके चिकित्सालय का काम प्रभावित हो रहा है। पट्टी करने से लेकर पशु को देखने तक का काम उप पशु चिकित्साधिकारी डॉ. रवींद्र सिंह राजपूत को करना पड़ रहा है। तहसील स्तरीय चिकित्सालय होने के कारण यहां पर बीमार पशुओं की संख्या ज्यादा रहती है। इसके बाद भी व्यवस्थाओं का अभाव है। कहने को तहसील स्तरीय चिकित्सालय है कि चिकित्सालय में न तो पट्टी है और न ही सफाई के लिए फिनाइल की व्यवस्था है। वित्तीय वर्ष के अभी आधा समय ही बीता है कितु एक वर्ष के लिए मिली अधिकांश दवाएं खत्म हो गयी हैं। घायल पशुओं के लिए मलहम तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कीड़े की दवा भी नही है। एंटीबायटिक इंजेक्शन के नाम पर सिर्फ चार वायल है। बी टोक्स जैसी आवश्यक दवाओं का टोटा पड़ा है। चिकित्सालय में दवाएं न होने के कारण पशु पालकों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

------------------------

आवारा बीमार पशुओं के उपचार में दवाओं का संकट

आए दिन सड़कों पर घूमती गायें दुर्घटना का शिकार हो जाती है तथा कई बार बरसात के मौसम में वह बीमार पड़ जाती है। इन पशुओं के पालक न होने के कारण इनके उपचार के लिए आवश्यक दवाओं की व्यवस्था आखिर कैसे हो। दवा के अभाव में इन गायों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है जिससे कई बार मौत भी हो जाती है।

------------------------

दवाओं के अभाव में कई बार बन जाती विवाद की स्थिति

जब भी आवारा बीमार पशुओं को आवश्यक दवाएं चिकित्सालय से उपलब्ध नहीं हो पातीं तो गाय सेवादारों तथा चिकित्सालय कर्मचारियों से विवाद तक की स्थिति बन जाती है तथा चिकित्साधिकारी को जलालत भी झेलनी पड़ती है।

---------------

सरकार के वित्तीय वर्ष में एक बार बजट मिलता है। अप्रैल माह में बजट मिलने के बाद भरपूर दवाएं उपलब्ध कराई गयी थीं अगर जरूरत है तो और दवाओं की व्यवस्था कराई जाएगी।

डॉ. विश्वपाल, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी , उरई


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.