..हिदी मेरा ईमान, हिदी मेरी पहचान
विमल पांडेय उरई बुंदेलखंड में हिदी साहित्य की यात्रा बुंदेली साहित्यकार अयोध्या प्रसाद गु
विमल पांडेय, उरई :
बुंदेलखंड में हिदी साहित्य की यात्रा बुंदेली साहित्यकार अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद' के बगैर पूरी नहीं होती है। हिदी उत्थान में सशक्त हस्ताक्षर के रूप में यह नाम ऐसे ही नहीं जन्मा, इसके पीछे स्वप्रयासों की लंबी कहानी है। बुंदेलखंड की कला, संस्कृति साहित्य और लोक कलाओं को जीवंत रखने में कुमुद जी मील का पत्थर साबित हुए। बुंदेलखंड में हिदी की समुन्नति के दो सौ से अधिक शोध प्रबंध लिखने वाले कुमुद जी अंग्रेजों के जमाने में जिले में होने वाली कोंच की श्रीराम लीला के शोध प्रबंध से पूरे देश में चर्चा में आए थे। उन्होंने हिदी प्रेमियों को जिले के सांस्कृतिक महत्व से जोड़ते हुए कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। कोंच की श्रीराम लीला के ऐतिहासिक महत्वों को संदर्भित उनका साहित्य आज भी विश्व पटल पर शोधार्थियों को परोसा जाता है। कालपी के ऐतिहासिक महत्वों पर आधारित उनके शोध ग्रंथ पर बुंदेलखंड की कला और संस्कृति की झलक दिखती है। बुंदेली भाषा और विकास पर उन्होंने 30 से अधिक पुस्तकें लिखकर हिदी की निरंतर सेवा की। सन 1958 से लगातार हिदी की सेवा कर रहे कुमुद एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय सम्मान पा चुके हैं। बकौल कुमुद आज सरकारों का रवैया हिदी की समुन्नति के लिए सकारात्मक नहीं है। हिदी के विकास के लिए जिस गति से काम होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। हिदी के विकास के लिए सरकार को बृहद स्तर से काम करने की आवश्यकता है।
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अयोध्या प्रसाद गुप्त कुमुद का परिचय :
जन्म : 15 जुलाई 1944
जन्म स्थान : कोंच (जिला जालौन)
प्रकाशित साहित्य : 30 पुस्तकें
प्रमुख गद्य साहित्य : लोक कला नवनीत, पद चिह्न समय की बालू पर, इसुरी, हिदी पत्रकारिता का इतिहास, कोंच की राम लीला,भारतीय लोक कलाओं के विविध आयाम, बुंदेलखंड की प्रमुख फागें।
राष्ट्रीय सम्मान : विद्या भाष्कर सम्मान 1986, संगीत नाटक अकादमी सम्मान 2001, लोक भूषण सम्मान 2006, साकेत सम्मान 2012
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साहित्य सर्जकों की जुबानी :
बुंदेलखंड में हिदी के विकास और लोक कलाओं को मूर्त रूप देने में अयोध्या प्रसाद कुमुद जी ने ऐतिहासिक काम किया है। उनके शोधपरक कार्य से आज अनेक नवोदित रचनाकारों को नई दिशा मिलती है।
केपी सिंह, समालोचक और स्वतंत्र टिप्पणीकार
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संस्कृति, साहित्य और पर्यटन के क्षेत्र में अयोध्या प्रसाद कुमुद चलते फिरते कोश हैं। हिदी की समुन्नति में उनका किया गया प्रयास बुंदेलखंड में एक नया इतिहास रच रहा है।
महेश पांडेय, साहित्यकार।