Move to Jagran APP

बीहड़ में सागौन व शीशम के वृक्षों से बढ़ेगी हरियाली

जागरण संवाददाता उरई पर्यावरण में सुधार के लिए हरियाली बढ़ना जरूरी है। इसलिए हर साल

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 11:44 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 11:44 PM (IST)
बीहड़ में सागौन व शीशम के वृक्षों से बढ़ेगी हरियाली
बीहड़ में सागौन व शीशम के वृक्षों से बढ़ेगी हरियाली

जागरण संवाददाता, उरई : पर्यावरण में सुधार के लिए हरियाली बढ़ना जरूरी है। इसलिए हर साल बड़े स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाया जाता है, इसके बावजूद सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिल रहे हैं। प्रबंधन की कमी की वजह से रोपित पौधे वृक्ष में तब्दील होने से पहले ही नष्ट हो जाता है, लेकिन इस बार जिले में ऐसी प्रजातियों के वृक्षों के पौधे रोपने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है जिनके रखरखाव में ज्यादा दिक्कत न हो। सबसे ज्यादा सागौन पर दूसरे नंबर पर शीशम के वृक्षों के पौधे अधिक रोपे जाएंगें। बीहड़ की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर इन वृक्षों की पौध रोपित कर हरियाली बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए बोना नालियां तैयार कर ली गईं है। जहां पर पौधों को रोपण के साथ बीज बुआन भी किया जाएगा।

loksabha election banner

संतुलित पर्यावरण के लिए सही अनुपात में हरियाली होना जरूरी है। इसी वजह से सरकारी तंत्र के साथ आम लोगों को भी पौधारोपण के अभियान से जोड़ते हुए शासन ने निश्शुल्क पौधे उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। एक जुलाई से विशेष वन महोत्सव सप्ताह शुरू होगा। पूरे जिले में अभियान के तहत 52 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य हैं। पौधों के रोपण के सापेक्ष बीज बुआन से पौधे उगाने का प्रयोग ज्यादा सफल है। डकोर, सिरसा कलार, नदीगांव, बंगर, कुठौंद, आटा, कदौरा, कालपी के बीहड़ इलाके में सबसे ज्यादा बीज बुआन से से पौधे तैयार किए जाएंगे। जिससे वीरान नजर आने वाले बीहड़ में हरियाली बढ़ सके। आठ वन क्षेत्रों की 26 पौधशालाओं में इसके तहत 65 लाख 28111 पौधे तैयार किए गए हैं। जिले की मृदा एवं बीहड़ की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए छायादार प्रजातियों के वृक्षों के रोपण पर अधिक जोर दिया जाएगा। जिसमें सागौन, शीशम व चिलबिल प्रमुख है।

-------------------

छायादार वृक्षों की उपलब्ध पौध

सागौन -- 1648692

शीशम -- 773937

केसिया सेमिया -- 127435

नीम --180439

---------------------

बीहड़ क्षेत्र में इस बार हरियाली बढ़ाने पर विशेष योजना बनायी गई है। इस वजह से ऐसे वृक्षों की पौध लगायी जा रही है जो जल्दी वृक्षों में तब्दील हो सके। तीन साल तक प्लांटेशन का रख रखाव किया जाएगा।

अंकेश कुमार श्रीवास्तव, प्रभागीय वनाधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.