मंगल गीत गाकर टेसू-झिझिया का विवाह कराया
संवाद सहयोगी कोंच बुंदेलखंड की लोक परंपराओं में सुमार टेसू झिझिया का विवाह एक ऐसे
संवाद सहयोगी, कोंच : बुंदेलखंड की लोक परंपराओं में सुमार टेसू झिझिया का विवाह एक ऐसे अमर प्रेम की कहानी है जो परवान चढ़ने से पहले ही मिट गई, लेकिन सच्चे प्रेम की झलक आज भी बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में पूर्णिमा के अवसर पर प्रति वर्ष दिखाई देती है।
शनिवार की रात कई स्थानों पर टेसू झिझिया का विवाह बच्चों द्वारा रचाया गया। रात में बच्चों ने टेसू झिझिया का विवाह रचाया। वर्षा ऋतु की समाप्ति एवं शरद ऋतु प्रारंभ होने की दस्तक पर कुंआरी कन्याएं इस टेसू झिझिया के विवाह का खेल खेलना शुरू कर देती हैं। कन्याओं का झुंड प्रथम पखवार में दीवार पर गाय के गोबर से चित्र बनाकर नारे सुआटा का गीत गाती हैं और घर घर जाकर झिझिया के लिए पैसे इकट्ठा करती हैं। उधर लड़के टेसू बनाकर पैसे इकट्ठा करते हैं। बाद में पूर्णमासी के दिन टेसू और झिझिया का विवाह रचाया जाता है। विवाह के पूर्ण होते ही टेसू को मार दिया जाता है। कहते हैं कि टेसू के मरते ही झिझिया भी सती हो जाती है। इस दौरान ज्योति पटेल, रचना राठौर, शिवानी, दीक्षा, पूजा आदि मौजूद रहीं।